बेलपत्र शुभ क्यूँ माना जाता है ?

बेलपत्र शुभ क्यूँ माना जाता है ?

बेलपत्र शुभ क्यूँ माना जाता है ? -एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया, माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ। इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं।

वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं। फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है.! इस सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है.! बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है.! भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं.!

बेलपत्र का महत्व और इसे शुभ मानने के कारण

बेलपत्र (बेल के पत्ते) को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा में इसका अत्यधिक महत्व है। धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोणों से बेलपत्र का अपना विशेष महत्व है।

धार्मिक महत्व:

  1. भगवान शिव की प्रिय वस्तु:
    बेलपत्र को भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। स्कंद पुराण, शिव पुराण, और अन्य ग्रंथों में उल्लेख है कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
  2. त्रिदेव का प्रतीक:
    बेलपत्र की तीन पत्तियों वाली संरचना ब्रह्मा, विष्णु और महेश (त्रिदेव) का प्रतीक मानी जाती है। इसे सत्त्व, रज और तम गुणों का प्रतीक भी कहा गया है।
  3. पापों का नाश:
    ऐसा माना जाता है कि बेलपत्र चढ़ाने से पिछले जन्म के पाप समाप्त होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में लिखा है कि बेलपत्र चढ़ाने मात्र से सभी प्रकार के दोष और कष्ट दूर हो जाते हैं।
  4. शीतलता का प्रतीक:
    बेलपत्र की ठंडी तासीर भगवान शिव की तपस्या के दौरान उनकी ऊर्जा को बनाए रखने का प्रतीक है। शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करके भगवान शिव को शीतलता प्रदान की जाती है।

वैज्ञानिक महत्व:

  1. औषधीय गुण:
    बेलपत्र में औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह हृदय और पाचन तंत्र के लिए लाभकारी होता है। बेल के पत्तों का उपयोग आयुर्वेद में अनेक रोगों के उपचार में किया जाता है।
  2. वातावरण शुद्ध करना:
    बेल का वृक्ष वातावरण को शुद्ध करता है और इसके पत्तों में औषधीय गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।
  3. सकारात्मक ऊर्जा:
    बेलपत्र का उपयोग पूजा में करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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बिल्वपत्र की पौराणिक कथा

बिल्वपत्र (बेलपत्र) से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो इसके महत्व और पवित्रता को दर्शाती हैं। इन कथाओं में से एक मुख्य कथा इस प्रकार है:

लक्ष्मी के श्राप और भगवान शिव की कृपा की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी लक्ष्मी एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से व्यथित होकर बिल्व वृक्ष के रूप में धरती पर प्रकट हुईं। ऋषि दुर्वासा को उनके क्रोध के लिए जाना जाता था, और किसी छोटी सी बात से नाराज़ होकर उन्होंने देवी लक्ष्मी को यह श्राप दिया था कि वे धरती पर जन्म लेंगी।

जब देवी लक्ष्मी बिल्व वृक्ष के रूप में प्रकट हुईं, तो उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव उनकी प्रार्थना से प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनका यह रूप (बिल्व वृक्ष) सदा पवित्र और पूजनीय रहेगा। उन्होंने कहा कि बिल्व के पत्ते उन्हें (शिव को) अत्यंत प्रिय होंगे और जो भी इसे अर्पित करेगा, उसे समृद्धि और शांति प्राप्त होगी।

तभी से बिल्वपत्र को देवी लक्ष्मी और भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर चढ़ाने का विधान है।

बेलपत्र शुभ क्यूँ माना जाता है ? –शिकारी और शिव की कथा

एक अन्य प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है:
एक समय की बात है, एक गरीब शिकारी जंगल में शिकार की तलाश में भटक रहा था। वह भूखा-प्यासा हो गया और रात होने पर उसने एक पेड़ के नीचे शरण ली। उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग स्थापित था, लेकिन शिकारी को इसका पता नहीं था।

रात को शिकारी ने अपनी प्यास बुझाने के लिए पास की नदी से जल लाकर शिवलिंग के पास रख दिया। जब उसने पेड़ की शाखा पर चढ़कर विश्राम किया, तो उसकी थैली से बिल्वपत्र शिवलिंग पर गिरने लगे। यह पूरी घटना अनजाने में हुई, लेकिन इस दौरान उसने भगवान शिव की पूजा कर दी।

सुबह होते ही भगवान शिव प्रकट हुए और शिकारी को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि अनजाने में ही सही, उसने मुझे जल और बिल्वपत्र अर्पित किए, जिससे मैं प्रसन्न हूं। शिव ने शिकारी को उसके पापों से मुक्त किया और उसे मोक्ष का आशीर्वाद दिया।

समुद्र मंथन से संबंध

एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान विष निकला, तो भगवान शिव ने उसे पी लिया और नीलकंठ कहलाए। शिव को विष के प्रभाव से बचाने के लिए देवताओं ने उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए बिल्वपत्र अर्पित किए। तभी से यह परंपरा शुरू हुई कि शिवलिंग पर जल और बिल्वपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

बेलपत्र चढ़ाने के नियम:

  1. बेलपत्र को साफ पानी से धोकर चढ़ाना चाहिए।
  2. फटे हुए या खराब बेलपत्र का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  3. इसे हमेशा उल्टा चढ़ाया जाता है, यानी चिकना भाग शिवलिंग की ओर होना चाहिए।
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शुभता का कारण:

बेलपत्र को शुभ इसलिए माना गया है क्योंकि यह भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है। इसके अलावा, इसके धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक गुण इसे पूजनीय और पवित्र बनाते हैं। बेलपत्र के उपयोग से व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।

  • 1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते.!
  • 2. अगर किसी की शवयात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है.!
  • 3. वायुमंडल में व्याप्त अशुद्धियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है.!
  • 4. 4, 5, 6 या 7 पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है.!
  • 5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है.!
  • 6. सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है.!
  • 7. ल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं.!
  • 8. बेल वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.!
  • 9. बेलपत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे.!
  • 10. जीवन में सिर्फ 1 बार और वह भी यदि भूल से भी शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते हैं.!
  • 11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्द्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है.!!

महत्वपूर्ण बाते भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने का जितना महत्व है, उतना ही महत्व बिल्वपत्र के वृक्ष का भी माना गया है.! बिल्वपत्र के वृक्ष की महिमा के बारे में अगर आप नहीं जानते, तो जरूर पढ़िए बिल्वपत्र के वृक्ष की यह महत्वपूर्ण बातें~

  • 1.बिल्वपत्र के वृक्ष में लक्ष्मी का वास माना गया है। इसकी पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है, और बेलपत्र के वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर निरंतर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.!
  • 2.बेलपत्र के वृक्ष को घर में लगाने या उसके प्रतिदिन दर्शन करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है.! घर में बिल्वपत्र का वृक्ष होने पर परिवार के सभी सदस्य कई प्रकार के पापों से मुक्त हो जाते हैं.!
  • 3.रविवार और द्वादशी तिथि पर बिल्वपत्र के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व होता है.! इस दिन पूजन करने से मनुष्य ब्रम्ह हत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है, इसके प्रभाव से यश और सम्मान मिलता है.!
  • 4. बिल्व का वृक्ष निवास स्थान के उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है. उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और यदि यह वृक्ष निवास स्थान के मध्य में हो तो जीवन में मधुरता आती है.!
  • 5.यदि कोई शव बिल्वपत्र के पेड़ की छाया से होकर श्मशान ले जाया जाता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा बिल्वपत्र के पेड़ को नियमित रूप से जल चढ़ाने पर पितृों को तृप्ति‍ मिलती है,और पितृदोष से मुक्ति मिलती है.!
  • 6.वातावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए बि‍ल्वपत्र के वृक्ष का महत्व है. यह अपने आसपास के वातावरण का शुद्ध और पवित्र बनाए रखता है। घर के आसपास बिल्वपत्र का पेड़ होने पर वहां सांप या विषैले जीवजंतु भी नहीं आते.!
  • 7. ऐसा माना जाता है,कि बिल्वपत्र का पेड़ लगाने से वंश में वृद्धि होती है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.! इस वृक्ष के नीचे शिवलिंग पूजा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.!
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बिल्वपत्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

इन पौराणिक कथाओं के अनुसार, बिल्वपत्र न केवल भगवान शिव को प्रिय है, बल्कि इसे चढ़ाने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बेलपत्र शुभ क्यूँ माना जाता है ? –निष्कर्ष

बिल्वपत्र से जुड़ी ये कथाएँ न केवल इसकी पवित्रता और महत्व को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि इसे चढ़ाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह शिवभक्तों के लिए श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।

पंडित रवि शास्त्री मो:- 9587867510 KB:- बेलपत्र शुभ क्यूँ माना जाता है ?

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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।