कार्तिक पूर्णिमा 2024

कार्तिक पूर्णिमा 2024

कार्तिक पूर्णिमा 2024

कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 18 नवंबर 2024 (सोमवार) को मनाया जाएगा। इस दिन का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है और इसे दीपदान, गंगा स्नान, और दान-पुण्य के लिए विशेष माना जाता है।

तिथि और शुभ मुहूर्त

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 17 नवंबर 2024 को दोपहर 14:35 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 18 नवंबर 2024 को दोपहर 15:46 बजे

पवित्र स्नान और पूजन का समय

  • गंगा स्नान: 18 नवंबर को प्रातः 05:30 से 08:30 बजे तक
  • दीपदान का समय: संध्या 18:00 से रात्रि 20:00 तक

कार्तिक पूर्णिमा 2024 का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण दिन है, जिसे दीपदान, गंगा स्नान, और पुण्य का दिन माना जाता है। यह दिन कार्तिक माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर में आता है। इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है, और इसे कई खास अवसरों से जोड़ा जाता है।

भगवान शिव और विष्णु की पूजा
कार्तिक पूर्णिमा का दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष दिन है। इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। साथ ही, यह दिन भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा का भी है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की पूजा करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं।

गंगा स्नान और दीपदान
इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान के साथ दीपदान भी किया जाता है। लोग दीप जलाकर अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक मनाते हैं और यह भगवान शिव और विष्णु की कृपा पाने का माध्यम माना जाता है।

गुरु नानक देव जी की जयंती
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन, सिख समाज विशेष रूप से पूजा करते हैं और गुरु नानक के उपदेशों को याद करते हैं। गुरु नानक देव जी का संदेश था- “ईश्वर एक है, सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए”

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मोह, लालच और पाप से मुक्ति
इस दिन का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के अंदर से मोह, लालच और पाप का नाश होता है। इस दिन विशेष रूप से लोग उपवासी रहते हैं, व्रत करते हैं और संकल्प लेकर अपने जीवन को सुधारने की कोशिश करते हैं।

मांगलिक कार्यों की शुरुआत
कार्तिक पूर्णिमा के दिन को शुभ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन से विवाह, घर की शुद्धि, और अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत की जाती है।

देवताओं की दिवाली
कार्तिक पूर्णिमा को “देवताओं की दिवाली” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन देवता अपनी अपनी स्वर्गीय कामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से पूजन करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा 2024 व्रत कथा

कार्तिक पूर्णिमा का व्रत विशेष रूप से पुण्य प्राप्ति और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस दिन का महत्व कई धार्मिक कथाओं में वर्णित है, जिनमें से एक प्रमुख कथा है “कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा”

कथा

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। वे निर्धन थे, लेकिन उनका जीवन सादगी और श्रद्धा से भरपूर था। एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति से कहा, “प्यारे पति, हमें इस बार कार्तिक माह की पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए, ताकि भगवान शिव और विष्णु की कृपा से हमारा जीवन सुखमय हो।”

ब्राह्मण ने अपनी पत्नी की बात मानी और कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत करने का संकल्प लिया। वह पूरे श्रद्धा भाव से दिनभर उपवासी रहे और रात को दीप जलाए। ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने पूरे दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा की और दान भी किया।

रात्रि में भगवान शिव स्वयं उनके घर आए और उन्हें आशीर्वाद दिया। भगवान शिव ने कहा, “तुम्हारी श्रद्धा और समर्पण को देखकर मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ। तुम्हारे घर में जल्द ही धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहेगी और तुम्हारे सभी दुख दूर हो जाएंगे।”

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इसके बाद ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए व्रत और पूजा के पुण्य से अपना जीवन समृद्ध और सुखमय बना लिया।

कथा का संदेश

  • कार्तिक पूर्णिमा का व्रत जीवन में सुख, समृद्धि और भगवान की कृपा पाने का सर्वोत्तम उपाय है।
  • इस दिन दीप जलाना, गंगा स्नान और भगवान शिव- विष्णु की पूजा करने से सभी पाप समाप्त होते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • श्रद्धा और भक्ति से किया गया व्रत जीवन को सुखमय और समृद्ध बना देता है।

इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक बदलाव और भगवान की कृपा प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ साधन है।

कार्तिक पूर्णिमा 2024 लोक कथा

कार्तिक पूर्णिमा के दिन की एक प्रसिद्ध लोक कथा है, जो इस दिन की महिमा और महत्व को दर्शाती है। यह कथा भगवान शिव और भगवान विष्णु से संबंधित है और इसे विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुनने का महत्व बताया जाता है।

कथा

बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में एक राजा और उसकी प्रजा रहती थी। राजा अत्यंत धर्मात्मा और साधक था, लेकिन उसके राज्य में कोई बड़ी समस्या थी—राज्य में कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से धर्म नहीं करता था। राजमहल के पुजारी ने राजा से कहा, “महाराज, हमारे राज्य में सभी प्रकार के दोष और पाप बढ़ रहे हैं। यह स्थिति तब तक सुधर नहीं सकती जब तक हम कार्तिक माह के पूर्णिमा दिवस पर भगवान शिव और विष्णु की विशेष पूजा न करें।”

राजा ने पुजारी की बात मानी और कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और पूरी श्रद्धा से पूजा की। यज्ञ के बाद, एक रात राजा को स्वप्न में भगवान शिव और विष्णु ने दर्शन दिए। भगवान शिव ने कहा, “तुमने श्रद्धा और भक्ति से हमारा पूजन किया है, जिससे तुम्हारे राज्य में समृद्धि और खुशहाली आएगी।”

भगवान विष्णु ने राजा से कहा, “जो लोग इस दिन गंगा स्नान करते हैं और दीप जलाते हैं, उनके पाप समाप्त हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुमने यह महान कार्य किया है, अब तुम्हारे राज्य में कोई दरिद्रता नहीं रहेगी।”

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राजा ने भगवान के आशीर्वाद से यह समझा कि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और पूजा करने से न केवल धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि यह समाज और राज्य की सुख-शांति का कारण बनता है।

कथा का संदेश

  1. सच्चे मन से पूजा और व्रत करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और जीवन में समृद्धि और सुख आता है।
  2. कार्तिक पूर्णिमा का महत्व है क्योंकि इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और विष्णु की पूजा करना सभी प्रकार के दोषों को नष्ट करता है और पुण्य का अर्जन होता है।
  3. गंगा स्नान और दीपदान इस दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

यह लोक कथा हमें यह सिखाती है कि श्रद्धा और भक्ति से किए गए व्रत और पूजा से न केवल व्यक्ति का जीवन सुधरता है, बल्कि समाज और राज्य भी समृद्ध होते हैं।

पं० सियाराम शर्मा ज्योतिषाचार्य ।। Mo:-+91 80517 02246 KB:- कार्तिक पूर्णिमा 2024

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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।