कनकधारा स्तोत्रम की कहानी |
कनकधारा स्तोत्रमसे जुड़ी कथा संत आदि शंकराचार्य और उनके करुणामय स्वभाव को दर्शाती है। यह कहानी उनकी बाल्यावस्था में घटी थी और उनके चमत्कारी प्रभाव व ईश्वर के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को प्रकट करती है। ( कनकधारा स्तोत्रम की कहानी )
कनकधारा स्तोत्रम की कहानी
जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जब छोटे थे, तो भोजन की आवश्यकता पूरी करने के लिए भिक्षा मांगते हुए एक गरीब ब्राह्मण महिला के घर पहुंचे। महिला अत्यंत निर्धन थी और उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। लेकिन अपने कर्तव्य और भक्ति भाव से प्रेरित होकर, उसने घर में खोजबीन की और अंततः एक आंवले का फल लेकर शंकराचार्य को भेंट कर दिया।
इस महिला के त्याग और सेवा भावना से शंकराचार्य का हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने उसकी गरीबी और कठिनाइयों को दूर करने के लिए माँ लक्ष्मी का आह्वान किया। 21 मधुर और भावपूर्ण श्लोकों के माध्यम से देवी लक्ष्मी की स्तुति की। ये श्लोक इतने प्रभावशाली थे कि देवी लक्ष्मी तुरंत प्रकट हो गईं।
जब शंकराचार्य ने उस महिला की दरिद्रता दूर करने का अनुरोध किया, तो माँ लक्ष्मी ने कहा कि महिला अपने पिछले जन्मों के कर्मों के कारण इस जन्म में गरीबी का अनुभव कर रही है। यह उसकी नियति है।
शंकराचार्य ने अपनी करुणा और भक्ति से देवी लक्ष्मी को समझाया कि महिला का निस्वार्थ भाव और त्याग उसके कर्मों के बंधन को समाप्त करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने माँ लक्ष्मी से दया दिखाने की प्रार्थना की।
आदि शंकराचार्य की भक्ति और करुणा से प्रसन्न होकर, देवी लक्ष्मी ने उस महिला के घर पर स्वर्ण आंवलों की वर्षा कर दी। इससे महिला का जीवन धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया।
इस घटना के बाद, आदि शंकराचार्य द्वारा रचित इन 21 श्लोकों को कनकधारा स्तोत्रम कहा जाने लगा। यह स्तोत्रम माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने और धन, समृद्धि, एवं सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ और प्रभावी माना जाता है।
कनकधारा स्तोत्रम सिद्धि की विधि
कनकधारा मंत्र सिद्धि के लिए श्रद्धा, भक्ति और सही विधि का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। कनकधारा स्तोत्र का प्रयोग मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और धन संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है। यहाँ पर मंत्र को सिद्ध करने की विधि दी जा रही है:
कनकधारा स्तोत्रम सिद्धि के लिए आवश्यक सामग्री
- एक स्वच्छ स्थान (पूजा के लिए)
- देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र
- सफेद वस्त्र (पूजक के लिए)
- कमल का फूल या किसी पुष्प की माला
- चावल, कुमकुम, दीपक, घी या तिल का तेल
- एक साफ आसन (कुश का आसन सर्वोत्तम है)
- शुद्ध जल
- स्फटिक या चांदी की माला (मंत्र जाप के लिए)
सिद्धि की विधि
- स्थान चयन और शुद्धिकरण
- एक पवित्र और शांत स्थान चुनें।
- वहां गंगाजल या शुद्ध जल से स्थान को शुद्ध करें।
- पूजा स्थान पर एक साफ कपड़ा बिछाएं और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- आसन ग्रहण करें
- कुश का आसन या रेशमी कपड़े का आसन प्रयोग करें।
- मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
- दीपक जलाएं
- दीपक में घी या तिल का तेल डालकर जलाएं।
- यह साधना के दौरान ऊर्जा और सकारात्मकता बढ़ाता है।
- मंत्र उच्चारण का नियम
- कनकधारा स्तोत्र का पाठ कम से कम 108 बार करें।
- जाप के लिए स्फटिक या चांदी की माला का उपयोग करें।
- हर दिन एक ही समय पर पाठ करें, यह सर्वोत्तम माना जाता है।
- स्नान और ध्यान
- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- पूजा से पहले कुछ मिनट ध्यान करें और मन को शांत रखें।
मंत्र
कनकधारा स्तोत्रम के 21 श्लोक का पाठ करें। यदि पूरा स्तोत्र पढ़ना संभव न हो, तो निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।”
सिद्धि के नियम
- जाप लगातार 21 दिनों तक करें।
- ब्रह्मचर्य और सात्विक जीवन का पालन करें।
- किसी भी नकारात्मक विचार से बचें।
- हर दिन पूजा के बाद प्रसाद (फलों या मिठाई) का भोग लगाएं।
सिद्धि के संकेत
- माँ लक्ष्मी के सपने में दर्शन।
- मन में स्थिरता और सकारात्मकता का अनुभव।
- जीवन में धन की प्राप्ति के मार्ग खुलने लगते हैं।
अगर साधना पूरी निष्ठा से की जाए, तो यह निश्चित रूप से फलदायी होती है।
आदि गुरु शंकराचार्य का महत्त्व
आदि गुरु शंकराचार्य भारतीय धर्म, दर्शन और संस्कृति के महान संत और सुधारक थे। उन्होंने वेदांत दर्शन, विशेष रूप से अद्वैत वेदांत को लोकप्रिय बनाया। उनका जन्म 8वीं शताब्दी में केरल के कालड़ी नामक स्थान पर हुआ था।
शंकराचार्य ने सनातन धर्म के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विभिन्न धार्मिक भ्रांतियों और कुप्रथाओं को दूर करते हुए अद्वैत वेदांत की शिक्षा दी, जो कहता है कि “ब्रह्म ही सत्य है, और जगत माया है।” उनके अनुसार, आत्मा और परमात्मा एक ही हैं।
माता महालक्ष्मी सबका कल्याण करेंगी। कनकधारा स्तोत्रम की कहानी –Vijay Kumar Shukla Image Source Google Images
नम्र निवेदन :-प्रभु की कथा से यह भारत वर्ष भरा परा है | अगर आपके पास भी हिन्दू धर्म से संबधित कोई कहानी है तो आप उसे प्रकाशन हेतु हमें भेज सकते हैं | अगर आपका लेख हमारे वैबसाइट के अनुकूल होगा तो हम उसे अवश्य आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे |अपनी कहानी यहाँ भेजें |Praysure को Twitter पर फॉलो, एवं Facebook पेज लाईक करें |