145 देवों के गायत्री मंत्र

145 देवों के गायत्री मंत्र

145 देवों के गायत्री मंत्र – गायत्री मंत्र को वैदिक परंपरा में अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है। यह मंत्र विशेष रूप से तीन चरणों में विभाजित होता है और प्रत्येक चरण में आठ अक्षर होते हैं। गायत्री मंत्र का प्रयोग प्राचीन काल से ही देवताओं की आराधना के लिए किया जाता रहा है। 145 देवों के लिए उनके विशेष गुणों और शक्तियों के अनुसार गायत्री मंत्र की रचना की गई है, जिससे साधक उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

हर देवता का गायत्री मंत्र उसकी ऊर्जा, शक्ति और विशेषताओं को समर्पित होता है। जैसे कि भगवान शिव के लिए – “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।” – यह मंत्र शिव की दिव्य चेतना को जागृत करने के लिए जपा जाता है। इसी तरह, भगवान विष्णु के लिए – “ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।” – यह मंत्र भक्तों को विष्णु की कृपा और जीवन में संतुलन प्रदान करता है।

सूर्य देव, चंद्रमा, इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु, यम, कुबेर, गणेश, कार्तिकेय, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, काली, भैरव, नवग्रह, दशावतार आदि के भी विशिष्ट गायत्री मंत्र होते हैं, जो उनके भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करने में सहायक होते हैं। इन मंत्रों का उच्चारण व्यक्ति की ऊर्जा को शुद्ध करता है, आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा देता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

145 देवों के इन मंत्रों का जाप विधिपूर्वक करने से जीवन में समृद्धि, सुख-शांति और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है। यह मंत्र साधना की शक्ति को बढ़ाते हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

145 देवों के गायत्री मंत्र

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निष्कर्ष -145 देवों के गायत्री मंत्र

145 देवों के गायत्री मंत्र साधना, भक्ति और आत्मिक शुद्धि का अद्भुत माध्यम हैं। ये मंत्र न केवल ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं, बल्कि व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नियमित रूप से इनका जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जीवन में शांति, समृद्धि एवं आध्यात्मिक जागरूकता आती है।

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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।
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