क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? जानें इस पावन पर्व की पूजा विधि

क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? जानें इस पावन पर्व की पूजा विधि

क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? जानें इस पावन पर्व की पूजा विधि – आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाने वाला यह पर्व आंवला वृक्ष की पूजा को समर्पित है। धार्मिक ग्रंथों में आंवला वृक्ष को विशेष महत्व दिया गया है और इसे पवित्र एवं अक्षय माना गया है। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा करके भक्त दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी जीवन की कामना करते हैं।

आंवला वृक्ष का महत्व

हिन्दू पुराणों में आंवला वृक्ष को अत्यधिक पवित्र और कल्याणकारी बताया गया है। कहा जाता है कि विष्णु भगवान स्वयं इस वृक्ष में निवास करते हैं, और इसके फल का सेवन करना शरीर और मन के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है, जिसमें इसे सभी रोगों का नाश करने वाला बताया गया है। इसके अलावा, पद्म पुराण में कहा गया है कि जो भक्त आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करते हैं या भोजन करते हैं, उन्हें विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

अक्षय पुण्य का पर्व

अक्षय नवमी के दिन का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन किए गए सभी धार्मिक कार्य अक्षय फल प्रदान करते हैं, अर्थात् उनका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। इस दिन स्नान, दान, और व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

पुराणों में उल्लेख

अक्षय नवमी का उल्लेख महाभारत और रामायण में भी किया गया है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान आंवले के वृक्ष के नीचे माता सीता के साथ भोजन किया था। इस पवित्र वृक्ष के नीचे भोजन करने से भगवान श्रीराम ने अक्षय पुण्य प्राप्त किया और इस परंपरा का महत्व और भी बढ़ गया। साथ ही, यह भी मान्यता है कि इसी दिन सत्ययुग का आरंभ हुआ था, जिससे इसे “सत्ययुगादि नवमी” भी कहा जाता है।

आंवला नवमी की परंपरा

इस दिन महिलाएँ विशेष रूप से आंवला वृक्ष की पूजा करती हैं और वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटकर उसकी परिक्रमा करती हैं। यह व्रत पति और परिवार की लंबी आयु, सुख-समृद्धि के लिए भी किया जाता है। महिलाएँ वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करती हैं और अपनी संतानों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

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उपसंहार

आंवला नवमी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती है। आंवला वृक्ष अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है और इसका फल स्वास्थ्यवर्धक होता है। इस दिन आंवले की पूजा करने से हम प्रकृति के प्रति अपनी आस्था और कृतज्ञता प्रकट करते हैं। आंवला नवमी और अक्षय नवमी का पर्व हमें सिखाता है कि हम प्रकृति से जुड़े रहें और जीवन में अच्छाई का मार्ग अपनाएँ।

आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त – क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? जानें इस पावन पर्व की पूजा विधि

आंवला नवमी का मुहूर्त कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होता है। इस वर्ष यह तिथि [साल के अनुसार तिथि अद्यतित करें] को है। नवमी तिथि का आरंभ 10-11-2024 से होता है और दिन भर इस पूजा का विशेष महत्व होता है। विशेषकर सुबह के समय आंवला वृक्ष की पूजा करना अधिक शुभ माना जाता है।

आंवला नवमी की पूजा विधि

  1. स्नान एवं संकल्प: सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मन में संकल्प लें कि आप आंवला नवमी के व्रत का पालन करेंगे और विधि-विधान से पूजा करेंगे।
  2. वृक्ष के पास जाने का नियम: यदि आंवला वृक्ष आपके पास उपलब्ध हो, तो उसके पास जाकर पूजा करें। यदि आंवला वृक्ष उपलब्ध न हो, तो आंवले का चित्र या प्रतिमा के माध्यम से पूजा कर सकते हैं।
  3. वृक्ष की सफाई और सजावट: आंवला वृक्ष के पास जल से भूमि को स्वच्छ करें। वृक्ष के चारों ओर हल्दी, कुमकुम, रोली और रंगीन धागों से सजावट करें।
  4. धूप-दीप प्रज्वलित करें: आंवला वृक्ष के पास दीपक जलाएँ और धूप-अगरबत्ती प्रज्वलित करें। वृक्ष के नीचे पंचामृत और जल अर्पित करें।
  5. पूजन सामग्री: आंवला वृक्ष को कच्चा दूध, जल, रोली, मौली (कलावा), अक्षत (चावल), चंदन, फल, फूल, आंवला फल, मिठाई, पान और सुपारी अर्पित करें।
  6. वृक्ष की परिक्रमा: वृक्ष की पूजा के बाद महिलाएँ पेड़ की परिक्रमा करती हैं। एक रंगीन धागे से वृक्ष के चारों ओर सात परिक्रमा करते हुए धागा लपेटें और इस दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
  7. वृक्ष के नीचे भोजन: आंवला नवमी पर आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन वृक्ष के नीचे भोजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  8. व्रत कथा सुनना या पढ़ना: इस दिन आंवला नवमी या अक्षय नवमी की व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए। कथा में इस पर्व का महत्व बताया गया है और यह कथा सुनने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  9. दान करना: इस दिन आंवला फल, वस्त्र, अन्न, और अन्य जरूरतमंद सामग्रियों का दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। विशेष रूप से गायों को भोजन कराना और आंवला वृक्ष के नीचे दान करना शुभ माना जाता है।
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पूजा का महत्व -क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? जानें इस पावन पर्व की पूजा विधि

आंवला नवमी की पूजा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने की प्रेरणा देता है। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा, व्रत और दान अक्षय फल देते हैं, जो जीवन में सदैव सुख-समृद्धि लाते हैं।

आंवला नवमी व्रत कथा

प्राचीन काल की बात है, एक नगर में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार रहता था। उस ब्राह्मण की पत्नी अत्यंत धर्मपरायण थी और उसे भगवान विष्णु में अटूट श्रद्धा थी। एक बार ब्राह्मण ने उसे बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर आंवला वृक्ष के नीचे पूजा करने और व्रत रखने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पुण्य फल अक्षय हो जाता है।

ब्राह्मणी ने यह बात सुनकर आंवला नवमी का व्रत करने का निश्चय किया। नवमी तिथि आने पर उसने स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण किए और संकल्प लिया। पास के जंगल में जाकर उसने एक आंवला वृक्ष की पूजा की। उसने वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा की, जल, कच्चा दूध, रोली, अक्षत और आंवले के फल अर्पित किए। पूजा के बाद ब्राह्मणी ने वृक्ष के नीचे बैठकर आंवले के फलों का प्रसाद ग्रहण किया और परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना की।

भगवान विष्णु उसकी भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हुए और प्रकट होकर उसे वरदान दिया कि उसके परिवार को कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी और वे सभी सुखी और समृद्ध रहेंगे। उस दिन के बाद ब्राह्मणी के जीवन में सुख और संपत्ति का आगमन हुआ। धीरे-धीरे यह कथा पूरे नगर में फैल गई और सभी ने आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा और व्रत करना शुरू कर दिया।

एक और पौराणिक कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, सत्ययुग के प्रारंभ में, देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा कि मनुष्यों के लिए ऐसा कौन सा उपाय है जिससे उन्हें अक्षय फल और पुण्य की प्राप्ति हो। भगवान विष्णु ने बताया कि कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने और व्रत रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन इतना पवित्र है कि जो व्यक्ति इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।

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कथा का महत्व -क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? जानें इस पावन पर्व की पूजा विधि

आंवला नवमी की व्रत कथा यह संदेश देती है कि आंवला वृक्ष में दिव्यता है और इसकी पूजा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है। आंवला वृक्ष अपने औषधीय गुणों के कारण भी विशेष महत्व रखता है और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

इस प्रकार, आंवला नवमी की पूजा और व्रत से भक्तों को पुण्य फल प्राप्त होता है और वे अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करते हैं।

पंडित Shiv Chandra Jha मो:- 9631487357 KB:- क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी? जानें इस पावन पर्व की पूजा विधि Photo Credit- Google Images

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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।

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