हिमालय को उनकी समृद्ध आंतरिक प्रकृति और कुछ दुर्लभ प्रजातियों के लिए जाना जाता है, अज्ञात का पता लगाने की मानव प्रवृत्ति ने कई साहसी और प्रेरणादायक कहानियों को जन्म दिया है। ऐसी महान विरासत के मूल निवासी होने के नाते मैं विरोध नहीं कर सकता था अपने आप को प्रकृति के कुछ वास्तव में चमत्कारी उपहारों को उजागर करने के लिए। ब्रह्म कमल आध्यात्मिक रूप से अभी तक वैज्ञानिक रूप से अनदेखा रहस्यवादी फूल है। मैं कई आकर्षक तथ्यों और विश्वासों में आया जब मैंने इस अद्भुत फूल के बारे में अधिक जानने का फैसला किया, जिनमें से कुछ मैं आपके साथ साझा करना पसंद करूंगा …
जाने ब्रह्म कमल के पोधे के बारे में
ब्रह्म कमल के पौधे में 1 साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि शुभ रात्रि में ही खिलता है और सफेद रंग का होता है | जो देखने में आकर्षक होता है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा जी का कमल है | इसीलिए इसे ब्रह्मकमल के नाम से जाना जाता है | आपको इस अत्यंत दुर्लभ चमत्कारी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले फूल के रहस्य और प्रचलित मान्यताओं के बारे में जान कर बहुत प्रसन्ता होगी जिससे आप आज तक अनजान थे |
आइए जानते हैं कि आखिर इतने खास ब्रह्म कमल के पौधे में 1 साल में केवल एक बार ही फूल क्यों आता है |
यह फूल केवल रात्रि में ही खिलता है | कहते हैं कि इसकी सुंदरता और अलौकिक शक्तियों के साथ- साथ इसमें औषधि गुण भी मौजूद है | इस फूल की विशेषता यह है कि जब खिलता है तब इसमें त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है | कहते हैं कि ब्रह्मा कमल ना ही ख़रीदा जाना चाहिए और ना ही से बेचा जाना चाहिये | उसको देवताओं का अपमान समझा जाता है क्योकि इसमें जादुई प्रभाव भी होता है | जैसे कि हमारे आसपास की जगह पर पाए जाने वाले सामान्य कमल की प्राप्ति आसानी से हो जाती है ब्रह्म की प्राप्ति आसानी से नहीं होती |
हिमालय में खिलने वाला यह फूल देवी देवताओं का आशीर्वाद होता है | हर साल एक बार ही खिलता है और एक ही रात रहता है | इस पर गिरा हुआ जल अमृत के समान माना गया है | कहते हैं कि सिर्फ भाग्यशाली व्यक्ति ही इसे खिलता हुआ देख पाते हैं और जो देखते है उन्हें सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और भाग्य मजबूत होती है | जिस तरह बर्फ से ढका हिमालय क्षेत्र देवी देवताओं का निवास माना गया है | उसी तरह बर्फीले क्षेत्र में उगने वाले ब्रह्मकमल को देवी देवताओ का आशीर्वाद माना जाता है जो हिमालय के दुर्गम इलाकों में पाए जाने वाले ब्रह्मकमल में मौजूद होता है |
ब्रह्मकमल फूल नही पुष्प है इसीलिए इसे तोड़ने के कुछ नियम होते हैं | आमतौर पर जगह जगह मिलने वाले फूलो को देवी देवताओ को चढ़ाया जाता है लेकिन ब्रह्म कमल ही ऐसा पुष्प है जिसकी पूजा की जाती है | सामान्य तौर पर ब्रह्म कमल हिमालय की पहाड़ियों के 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई में पाया जाता है | इसकी सुंदरता तथा गुणों से प्रभावित होकर इस पुष्प को उत्तराखंड का राज्य पुष्प घोषित किया गया है | इसकी 50 से अधिक प्रजातियां हिमालय की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाती है |
ब्रह्म कमल के बारे में पौराणिक मान्यताये
प्राचीन मान्यताओं में यह भी बताया गया हैं कि माता पार्वती जी के कहने पर ब्रह्मा जी ने ब्रह्म कमल का निर्माण किया था | भगवान शिव ने गणेश जी के कटे हुए मस्तक पर एक हाथी का सिर रखा तब उन्होंने ब्रह्मकमल के जल से उनके सिर पर पानी छिड़क दिया था | यही कारण है कि ब्रह्मकमल को जीवन देने वाले अमृत के सामान फूलों का दर्जा दिया गया है | आज का आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि फूल में कई औषधीय गुण मौजूद है | ब्रह्म कमल का वर्णन रामायण काल में भी मिलता है | जब संजीवनी बूटी के द्वारा लक्ष्मण जी को पुनः जीवित किया गया था | तब उत्सव में भगवान ने स्वर्ग से सुंदर फूलो बरसाए जिससे पृथ्वी पर ब्रह्म कमल की उत्पत्ति हुई |
एक कथा के अनुसार जब पंच पांडव द्रोपदी के साथ जंगल में वनवास में थे तथा द्रौपदी कौरवों द्वारा अपने अपमान को भूल नहीं पा रही थी और एक शाम को जब द्रौपदी ने एक सुनहरे कमल को खिलते देखा तो उनकी सभी दर्द एक अलग ही खुशी में बदल गए | तब द्रौपदी ने अपने पति भीम को उस सुनहरे फूल की खोज के लिए भेजा | खोज के दौरान भीम जी की मुलाकात हनुमान जी से हुई थी
बहुत सारी प्रचलित मान्यताओं में यह जानने को मिलता है ब्रह्म कमल एक ऐसा दुर्लभ पुष्प है जिसे जो भी खिलते हुए देखता है | उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है उसमें आध्यात्मिकता का विकास होता है कहते हैं यह केवल कुछ ही पलों के लिए खिलता है और जो इसे खिलते हुए देख कर मनोकामना करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है |
हम मान्यताओं को नकार नहीं सकते क्योंकि कई प्राचीन चित्रों पर भी इसका उल्लेख मिलता है | पाताल भुवनेश्वर गुफा में जाएंगे तो वहां आपको गणेश जी की कटी हुई मस्तक के ऊपर देखने को मिल जाएगा जहां से हमेशा पानी की कुछ बूंदें गणेश जी के मस्तक पर गिरती रहती है | ऐसे ही बहुत सारे उल्लेख है जहां ब्रह्म कमल के बारे में और उससे होने वाले सकारात्मक प्रभावों के बारे में सुनने और देखने को मिलेगा |
ब्रह्म कमल का औषधीय उपयोग-
आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में कुछ औषधीय उपयोग आम दुनिया के लिए बहुत कम ज्ञात हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर हिमालय में रहने वाले मूल निवासियों द्वारा उपयोग किए जाते हैं-
- फूल, प्रकंद और पत्तियों का उपयोग अस्थि दर्द, आंतों की बीमारियों, खांसी / ठंड और मूत्र पथ की समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है।
- विशेष रूप से एंटीसेप्टिक के तौर पर घाव भरने के लिए उपयोग किया जाता है ।
- तिब्बती चिकित्सा पद्धति में, पौधे का उपयोग अंगों और मस्तिष्क संबंधी पक्षाघात के उपचार में किया जाता है ।
- ड्रॉप्सी और हृदय संबंधी विकारों को ठीक करने के लिए भी ब्रह्म कमल का उपयोग औषधीय रूप से किया जाता है।
मैंने व्यक्तिगत रूप से पाया कि इस फूल में एंटीवायरल गुण हैं।
ब्रह्म कमल : वर्गीकृत लुप्तप्राय!
संरक्षण मूल्यांकन प्रबंधन योजना (CAMP) के अनुसार, पौधे को लुप्तप्राय रूप में वर्गीकृत किया गया है। वैज्ञानिक अधिकारियों के साथ-साथ उतराखंड की राज्य सरकार द्वारा इसे राज्यकिए फूल के रूप में घोषित किया गया है। लेकिन अत्यधिक चिकित्सीय उपयोग एवं रखरखाव के अभाव में यह लुप्तप्रायः हो गया है |
क्या किया जा सकता है?
संरक्षण उपायों को प्राकृतिक आवास से सटे क्षेत्रों में नर्सरी की स्थापना के साथ शुरू करना चाहिए, जिसमें प्रसार के पारंपरिक तरीकों की कोशिश की जा सकती है। यह प्रजाति के अति-दोहन को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए । आरएंडडी क्षेत्र में प्रजातियों की फार्मास्युटिकल क्षमता को स्थापित करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को ब्रह्म कमल के वाणिज्यिक मूल्य एवं विरासत के बारे में जागरूक करके इसका संरक्षण किया जा सकता है ।
हम अपने पाठकों से क्या उम्मीद करते हैं ?
हमारा मानना है कि प्रत्येक छोटा कदम एक बड़ा परिवर्तन कर सकता है | सरकार द्वारा इस पौधे के संरक्षण हेतु अनेकों उपाय किए जा रहें हैं लेकिन इसमे हमारी सहभागिता अनिवार्य है |
ब्रह्म कमल के संरक्षण हेतु अधिक से अधिक लोगो को इसके संबंध में बताएं | यह एक भारत की पौराणिक विरासत है इससे संबन्धित जानकारी अधिक से अधिक शेयर करें | अगर आपके पास इसके संरक्षण हेतु कोई विचार है तो उसे आप यहाँ रख सकते हैं हम आपके विचारों को उतराखंड प्रसाशन के समक्ष रखेंगे |
इस अद्भुत फूल के संरक्षण के लिए टिशू कल्चर तकनीक जैसी नई तकनीकों को लागू करने के प्रयासों की हम सराहना करेंगे ।
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Team Praysure With Input From Surendra Kumar – Uttarakhand Forest , Government of Uttarakhand
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