जानिए कहां हैं भारत के 10 सबसे चमत्कारी शिवलिंग? – शिवरात्रि, महाशिवरात्रि, सोमवार, चतुर्दशी और सावन माह में भगवान शिव की विशेष पूजा और जलाभिषेक का महत्व है। भारत में ऐसे कई अद्भुत और चमत्कारी शिवलिंग हैं, जो अपनी विशेषताओं और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन शिवलिंगों के दर्शन हर शिवभक्त के लिए अनिवार्य माने जाते हैं।
तो आईये जानते जानिए कहां हैं भारत के 10 सबसे चमत्कारी शिवलिंग? और चलिये हमारे साथ अध्यात्म कि इस यात्रा पे –
1. रामगढ़ के टूटी झरना का प्राचीन शिवलिंग
झारखंड के रामगढ़ में स्थित एक प्राचीन शिवमंदिर को “टूटी झरना मंदिर” के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की खासियत इसे बेहद अनोखा और रहस्यमय बनाती है। यहां शिवलिंग पर 24 घंटे बिना रुके जलाभिषेक होता रहता है, और यह जलाभिषेक कोई और नहीं, बल्कि खुद मां गंगा करती हैं—अपनी हथेलियों से।
मंदिर में शिवलिंग के ऊपर मां गंगा की एक प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा की नाभि से पानी की एक धारा स्वतः निकलती है, जो उनकी हथेलियों से गुजरते हुए सीधे शिवलिंग पर गिरती है। यह चमत्कार सैकड़ों सालों से जारी है, और आज तक कोई नहीं जान पाया कि इस पानी का स्रोत आखिर कहां है।
कहा जाता है कि इस मंदिर का जिक्र प्राचीन पुराणों में भी मिलता है। इस अद्भुत मंदिर को देखकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति और आस्था का एक अनूठा संगम यहां साकार हो रहा हो।
हैंडपंप जो खुद करता है पानी का इंतजाम: एक और रहस्य
टूटी झरना मंदिर के पास एक हैंडपंप भी है, जो अपने आप में एक अनोखा रहस्य समेटे हुए है। इस हैंडपंप से पानी निकालने के लिए किसी को मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती। यह अपने आप लगातार पानी छोड़ता रहता है, मानो प्राकृतिक रूप से कोई अदृश्य शक्ति इसे संचालित कर रही हो।
मंदिर आने वाले भक्त इस पानी का उपयोग पूजा से पहले स्नान के लिए करते हैं। हैरानी की बात यह है कि मंदिर के पास से गुजरने वाली नदी गर्मियों में लगभग सूख जाती है, लेकिन इसके बावजूद यह हैंडपंप सालों भर बिना रुके पानी देता रहता है। यह भी अभी तक एक रहस्य बना हुआ है कि आखिर इस हैंडपंप का पानी कहां से आता है। यह चमत्कार श्रद्धालुओं की आस्था को और मजबूत करता है।
2. बिजली महादेव – हिमाचल का रहस्यमय शिव मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित “बिजली महादेव” मंदिर भगवान शिव के एक अद्भुत और रहस्यमय का केंद्र है। इस मंदिर की खासियत यह है कि हर 12 साल में शिवलिंग पर भयंकर बिजली गिरती है, जिससे शिवलिंग खंडित हो जाता है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि मंदिर के पुजारी इसे मक्खन से जोड़ते हैं, और कुछ समय बाद यह शिवलिंग अपने पुराने ठोस रूप में वापस आ जाता है।
यह प्राचीन मंदिर कुल्लू शहर के पास ब्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल के समीप एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। “बिजली महादेव” के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर शिव और प्रकृति के गहरे संबंध का प्रतीक है। कुल्लू और भगवान शिव की आस्था का यह स्थान हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां की अद्भुत मान्यता और शिवलिंग के साथ होने वाला यह चमत्कार श्रद्धालुओं के लिए आश्चर्य और भक्ति का केंद्र बना हुआ है।
3. अचलेश्वर महादेव: रंग बदलने वाला रहस्यमयी शिवलिंग
राजस्थान के धौलपुर में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर शिवभक्तों के लिए एक अनोखा चमत्कारिक स्थल है। यहां के शिवलिंग की खासियत यह है कि यह दिन में तीन बार रंग बदलता है। सुबह यह लाल रंग का दिखाई देता है, दोपहर में केसरिया हो जाता है, और शाम तक यह सांवले रंग का हो जाता है। शिवलिंग का यह अद्भुत बदलाव श्रद्धालुओं के लिए गहरी आस्था और आश्चर्य का विषय है।
इस शिवलिंग का एक और रहस्य यह है कि इसका कोई छोर नहीं है। यह आज भी अज्ञात है कि शिवलिंग की गहराई कहां तक जाती है। चंबल नदी के किनारे बीहड़ों में स्थित यह मंदिर धौलपुर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1,000 साल पुराना है, जबकि इसके शिवलिंग को हजारों साल पुराना बताया जाता है।
अचलेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं, जो इस जगह को और भी रहस्यमय बनाती हैं। यह प्राचीन स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और चमत्कार इसे हर भक्त के लिए एक विशेष तीर्थस्थल बनाते हैं।
4. भोजेश्वर महादेव मंदिर – विश्व का सबसे विशाल प्राचीन शिवलिंग
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में, भोपाल से 32 किलोमीटर दूर भोजपुर की पहाड़ियों पर स्थित भोजेश्वर मंदिर अपने अद्भुत और विशाल शिवलिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसे भोजपुर शिव मंदिर भी कहा जाता है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण परमार वंश के महान शासक राजा भोज (1010 ई.-1055 ई.) ने करवाया था।
मंदिर का शिवलिंग चिकने लाल बलुआ पत्थर से बना है और इसे एक ही पत्थर से तराशा गया है। यह शिवलिंग न केवल अपने आकार के लिए अनोखा है, बल्कि इसे विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन शिवलिंग माना जाता है। इसकी भव्यता और विशालता इसे देखने आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
माना जाता है कि इस स्थान पर साधुओं के एक समूह ने गहन तपस्या की थी, जिससे यह भूमि और भी पवित्र मानी जाती है। भोजेश्वर मंदिर भारतीय वास्तुकला और आध्यात्मिक आस्था का अद्भुत उदाहरण है। इसकी भव्य संरचना और ऐतिहासिक महत्व इसे हर शिवभक्त के लिए एक विशेष तीर्थ स्थल बनाते हैं।
5. लक्षलिंग महादेव मंदिर: एक लाख छेदों वाला रहस्यमय शिवलिंग
छत्तीसगढ़ के खरौद नामक शहर में स्थित लक्षलिंग महादेव मंदिर शिवभक्तों के लिए एक चमत्कारी और रहस्यमय स्थल है। इस मंदिर का शिवलिंग अपनी अनोखी बनावट और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग में लगभग एक लाख छोटे-छोटे छेद हैं, जिनमें से एक छेद पाताल तक जाता है।
शिवलिंग की खासियत यह है कि इन छेदों में से एक हमेशा जल से भरा रहता है। इसमें जितना भी जल अर्पित किया जाए, वह शिवलिंग के अंदर समा जाता है और बाहर कभी नहीं ढुलता। ऐसा माना जाता है कि यह जल सीधे पाताल में चला जाता है।
यह अनोखा शिवलिंग जमीन से लगभग 30 फीट ऊपर स्थित है और इसे स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है। लक्षलिंग महादेव मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शिवरीनारायण मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी अद्वितीय संरचना और चमत्कारिक विशेषताएं इसे भक्तों और पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण बनाती हैं।
6. मृदेश्वर महादेव मंदिर: बढ़ते शिवलिंग का रहस्य
गुजरात के गोधरा में स्थित मृदेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग अपनी अद्भुत विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग का आकार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। मान्यता है कि जिस दिन यह शिवलिंग 8.5 फुट का हो जाएगा और मंदिर की छत से टकराएगा, उस दिन प्रलय का आरंभ होगा।
यह भी कहा जाता है कि यह शिवलिंग हर साल लगभग एक चावल के दाने के बराबर बढ़ता है। इसकी एक और खासियत यह है कि शिवलिंग से प्राकृतिक रूप से जल की धारा निरंतर बहती रहती है, जो इसे और भी चमत्कारी बनाती है।
मृदेश्वर महादेव मंदिर शिवभक्तों के लिए एक गहन आस्था का केंद्र है। यह मंदिर शिव की अनंत शक्ति और रहस्यमय प्रकृति का प्रतीक है, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
7. मातंगेश्वर शिवलिंग: स्वर्ग और पाताल से जुड़ा चमत्कारिक शिवलिंग
मध्यप्रदेश के खजुराहो में स्थित मातंगेश्वर शिव मंदिर अपने विशाल और चमत्कारी शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। यह 18 फीट ऊंचा शिवलिंग हर साल एक तिल के बराबर बढ़ता है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग की पूजा स्वयं भगवान राम ने भी की थी।
मंदिर का निर्माण चंदेल राजाओं ने कराया था, जो अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला और भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध थे। मातंगेश्वर शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि यह एक ओर पाताल लोक की गहराइयों में जा रहा है, तो दूसरी ओर स्वर्गलोक की ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है।
यह भी कहा जाता है कि जिस दिन यह शिवलिंग पाताल लोक तक पहुंच जाएगा, उसी दिन कलियुग का अंत हो जाएगा। मातंगेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता इसे एक अद्वितीय तीर्थ स्थल बनाती है।
8.स्तंभेश्वर महादेव मंदिर: ज्वारभाटा से गायब होने वाला शिवलिंग
गुजरात के वडोदरा जिले से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-कंबोई गांव में स्तंभेश्वर महादेव मंदिर एक अनोखी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर अरब सागर के कैम्बे तट पर स्थित है, जहां इसका शिवलिंग 2 फुट व्यास और 4 फुट ऊंचा है।
मंदिर की अद्भुत विशेषता यह है कि सुबह और शाम के समय, जब ज्वारभाटा आता है, मंदिर कुछ पल के लिए पूरी तरह गायब हो जाता है। पानी के स्तर में वृद्धि के कारण मंदिर और शिवलिंग पानी में डूब जाते हैं और फिर ज्वार के उतरने के बाद पुनः दिखाई देते हैं। यह दृश्य श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है, और यह प्राकृतिक घटना मंदिर की रहस्यमय महिमा को और भी गहरे मायने देती है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह प्रकृति के अद्वितीय चमत्कारी प्रभावों का एक जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
9.निष्कलंक महादेव मंदिर: पांडवों द्वारा प्राप्त मुक्ति का स्थान
गुजरात के भावनगर जिले के कोलियाक तट से 3 किलोमीटर अंदर स्थित निष्कलंक महादेव मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह मंदिर अरब सागर के बीच स्थित है, जहां प्रतिदिन समुद्र की लहरें शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं। जब ज्वारभाटा शांत हो जाता है, तब भक्त इस मंदिर में पैदल चलकर दर्शन करने आते हैं। लेकिन ज्वार के समय, केवल मंदिर का ध्वज ही दिखाई देता है, क्योंकि बाकी स्थान पानी में डूब जाता है।
निष्कलंक महादेव मंदिर की एक महत्वपूर्ण किवदंती जुड़ी हुई है जो इसे महाभारत काल से जोड़ती है। जब पांडवों ने अपने ही कुल के लोगों को युद्ध में मारा और पाप का पछतावा किया, तो वे श्रीकृष्ण के पास पहुंचे। श्रीकृष्ण ने उन्हें एक काली गाय और काले झंडे के साथ यात्रा करने का निर्देश दिया। कहा गया था कि जब गाय और झंडा सफेद हो जाएं, तब उनका पाप मिट जाएगा।
पांडवों ने कई दिनों तक यात्रा की और अंततः इस समुद्र के पास पहुंचे, जहां गाय और झंडा सफेद हो गए। यहां उन्होंने शिव की तपस्या की और भगवान शिव ने उन्हें लिंग रूप में दर्शन दिए। आज भी यहां पांच शिवलिंग विद्यमान हैं, जो पांडवों को मिली मुक्ति के प्रतीक हैं। इस कारण से इसे निष्कलंक महादेव मंदिर कहा जाता है, जहां पाप से मुक्ति पाने की आस्था और श्रद्धा का महत्व है।
10. तिलभांडेश्वर मंदिर: स्वयंभू शिवलिंग का चमत्कारी आकार
काशी के प्रसिद्ध तिलभांडेश्वर मंदिर में स्थित स्वयंभू शिवलिंग का अद्भुत गुण है कि यह हर साल एक तिल के बराबर बढ़ता है। इस मंदिर का शिवलिंग धीरे-धीरे बढ़ता हुआ एक चमत्कारी प्रतीक बन चुका है, जो भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र है।
इसी प्रकार, छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गरियाबंद के घने जंगलों में स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग भी हर साल बढ़ता है। यह शिवलिंग भी साल दर साल एक तिल के बराबर बढ़ने का अद्भुत रहस्य प्रस्तुत करता है।
मध्यप्रदेश के देवास जिले के पास बिलावली स्थित शिवमंदिर का शिवलिंग भी इस तरह के बढ़ने के चमत्कार से जुड़ा हुआ है। इन मंदिरों का शिवलिंग हर वर्ष एक तिल के बराबर बढ़ता है, जो भक्तों को विश्वास दिलाता है कि इन स्थानों पर कोई गहरी आध्यात्मिक शक्ति मौजूद है।
इन सभी मंदिरों में शिवलिंग का आकार बढ़ने की प्रक्रिया न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उन भक्तों के लिए एक गहरी आस्था और विश्वास का प्रतीक भी है, जो इन मंदिरों के दर्शन करते हैं।
जानिए कहां हैं भारत के 10 सबसे चमत्कारी शिवलिंग? हर हर महादेव!
महादेव सबका कल्याण करें और सभी को अपनी कृपा से सशक्त करें। उनकी आशीर्वाद से हर दिल में शांति, समृद्धि और सुख की बौछार हो।
नम्र निवेदन :- प्रभु की कथा से यह भारत वर्ष भरा परा है | अगर आपके पास भी हिन्दू धर्म से संबधित कोई कहानी है तो आप उसे प्रकाशन हेतु हमें भेज सकते हैं | अगर आपका लेख हमारे वैबसाइट के अनुकूल होगा तो हम उसे अवश्य आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे |
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