गंगाजल खराब क्यों नहीं होता?

गंगाजल खराब क्यों नहीं होता?

गंगाजल खराब क्यों नहीं होता? -गंगाजल को भारतीय संस्कृति में सदियों से पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह कभी खराब नहीं होता और इसमें कई रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। आइए जानते हैं कि गंगाजल इतना शुद्ध और प्रभावी क्यों माना जाता है।

गंगाजल खराब क्यों नहीं होता?

गंगाजल में बैक्टीरिया नष्ट करने वाले बैक्टीरियोफाज वायरस होते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को मारकर पानी को शुद्ध बनाए रखते हैं। लखनऊ स्थित नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NBRI) के निदेशक डॉ. चंद्रशेखर नौटियाल ने शोध में पाया कि गंगा जल में ई-कोलाई जैसे हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता है।

उन्होंने तीन प्रकार के गंगाजल में ई-कोलाई बैक्टीरिया पर परीक्षण किया। ताजा गंगा जल में बैक्टीरिया तीन दिन तक जीवित रहा, आठ दिन पुराने गंगा जल में एक हफ्ते तक और सोलह साल पुराने गंगा जल में 15 दिन तक जीवित रहा। यानी तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर देवेंद्र स्वरूप भार्गव के अनुसार, गंगाजल में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की क्षमता अन्य नदियों की तुलना में 15-20 गुना अधिक है, जिससे यह स्वच्छ और शुद्ध बना रहता है।

गंगाजल के औषधीय गुण

खांसी और अन्य बीमारियों में यह बेहद लाभकारी है। सर्दी और खांसी के दौरान डॉक्टरों की दवा से राहत नहीं मिलने पर गंगाजल पीने से तेजी से सुधार देखा गया है। दिन में तीन बार दो-दो चम्मच गंगाजल पीने से तीन दिन में खांसी ठीक हो सकती है।

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हैजा और अन्य संक्रामक रोगों में भी गंगाजल प्रभावी साबित हुआ है। ब्रिटिश डॉक्टर एम. ई. हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि गंगाजल में हैजा फैलाने वाले बैक्टीरिया डालने पर वे तुरंत नष्ट हो गए। यही कारण था कि ब्रिटिश लोग कलकत्ता से इंग्लैंड जाते समय पीने के लिए गंगा जल जहाज में लेकर जाते थे, क्योंकि यह खराब नहीं होता था।

इतिहास में गंगाजल की महत्ता

मुगल सम्राट अकबर खुद गंगा जल पीते थे और अपने मेहमानों को भी गंगाजल परोसा करते थे। अंग्रेज अपने देश से लाया पानी जहाज में खराब कर बैठते थे, लेकिन गंगाजल खराब नहीं होता था। भारत में मृत्यु के समय गंगाजल पिलाने की परंपरा है, क्योंकि इसे जीवनदायी और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

अमेरिका में गंगाजल 250 डॉलर प्रति लीटर में क्यों बिकता है?

अमेरिका और अन्य देशों में गंगाजल की अत्यधिक मांग है क्योंकि इसमें रोगाणुनाशक और औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह बिना सड़ने वाला प्राकृतिक जल है, जो लंबे समय तक शुद्ध बना रहता है। आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के कारण हिंदू, योगी और आयुर्वेद प्रेमी इसे उच्च कीमत पर खरीदते हैं।

गंगा की पवित्रता बनाए रखना आवश्यक

गंगाजल के औषधीय और शुद्धिकरण गुणों को देखते हुए हमें इसे प्रदूषित होने से बचाना चाहिए। शवों की राख या अस्थियां इसमें विसर्जित करने की बजाय इसे स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के प्रयास करने चाहिए।

गंगाजल वैज्ञानिक और ऐतिहासिक रूप से सिद्ध चमत्कारी जल है, जो स्वास्थ्य, धर्म और पर्यावरण तीनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। हमें इसे संरक्षित करने के लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए ताकि इसके गुण आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहें।

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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।