गौ-चालीसा
गौमाता को सनातन धर्म में माता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि वह समस्त प्राणियों का पालन-पोषण करती हैं। गौ-चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है। गौ-चालीसा को श्रद्धा और भक्ति से पढ़ने पर गौमाता की कृपा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
गौ चालीसा की महिमा
- पापों का नाश करती है: गौ-चालीसा का पाठ करने से जीवन के सभी पापों का क्षय होता है और व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
- धन-धान्य और समृद्धि देती है: गौमाता की सेवा और चालीसा पाठ से परिवार में धन, धान्य और समृद्धि का आगमन होता है। यह आर्थिक समस्याओं को समाप्त करता है।
- संतान प्राप्ति का आशीर्वाद: जिन दंपतियों को संतान की प्राप्ति में बाधा आती है, वे गौ-चालीसा का पाठ करें। गौमाता की कृपा से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- कष्टों का निवारण: गौमाता को संकटमोचन माना गया है। गौ-चालीसा के पाठ से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट और रोग समाप्त हो जाते हैं।
- ग्रह दोषों से मुक्ति: ज्योतिष में गौसेवा और चालीसा का पाठ शनि, राहु और केतु जैसे ग्रह दोषों को शांत करने में सहायक है।
- प्राकृतिक संतुलन और पर्यावरण की रक्षा: गौमाता को धर्म का आधार माना गया है। उनके प्रति सम्मान और गौ-चालीसा के पाठ से पर्यावरण और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गौ-चालीसा का पाठ कब और कैसे करें
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- गौमाता के चित्र या प्रतिमा के सामने दीप जलाएं।
- अगर संभव हो तो वास्तविक गौमाता की सेवा करें और उनके पास बैठकर पाठ करें।
- पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ चालीसा का पाठ करें।
- विशेष फल प्राप्ति के लिए शुक्रवार, अमावस्या, या पूर्णिमा के दिन पाठ करना शुभ माना जाता है।
गौमाता की कृपा
गौमाता की कृपा से व्यक्ति का जीवन सुखमय और उन्नति से परिपूर्ण होता है। गौ-चालीसा का पाठ न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक है। गौमाता को पूजने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, क्योंकि वे स्वयं गौसेवक और गोपालक थे।
गौ-चालीसा
श्री गणेश को सुमिर के, शारद शीश नवाय !
गौ माँ की महिमा कहूँ, कंठ विराजो आय !!
मंदमती मैं मात गौ, मुझको तनिक न ज्ञान !
कृपा करो हे नंदिनी, महिमा करूँ बखान !!
जय जय जय जय जय गौ माता,
कामधेनु सुख शान्ति प्रदाता !!१!!
मात सुरभि हो जग कल्यानी, ऋषि मुनियों ने कथा बखानी !!२!!
तुम ही हो हम सबकी मइया, भवसागर की पार लगइया !!३!!
देवन आई विपत करारी, तुमने माता की रखवारी !!४!!
ऋषि मुनियन पर दानव धावा, सब मिल तुमहिं पुकार लगावा !!५!!
व्याकुल होकर गंगा माई, आकर पास गुहार लगाई !!६!!
गंगा को माँ दिया निवासा, आपहिं लक्ष्मी आई पासा !!७!!
लक्ष्मी को भी तुम अपनाई, सबके जीवन मात बचाई !!८!!
तेंतिस कोटि देव-मुनि आये, सबहीं माता आप बचाये !!९!!
तुमने सबकी रक्षा कीन्हीं, असुर ग्रास हर जीवन दीन्हीं !!१०!!
माता तुम हो दिव्य स्वरूपा, तव महिमा सब गायें भूपा !!११!!
देव दनुज मिल मथे नदीशा, पाये चौदह रतन मनीषा !!१२!!
सागर को मिल देव मथाये, कामधेनु रत्नहिं तब पाये !!१३!!
कामधेनु के पांच प्रकारा, सेवा से जायें भव पारा !!१४!!
सुभद्रा नंदा सुरभि सुशीला, बहुला धेनु काम की लीला !!१५!!
जो जन सिर गोधूलि लगायें, ताके पाप आप कट जायें !!१६!!
गो चरणन मा तीर्थ निवासा, गौ-भक्ति सम नहीं उपवासा !!१७!!
गौ सेवा है मोक्ष कि सीढी, धन बल यश पावहिं सब पीढ़ी !!१८ !!
विद्या लक्ष्मी आवहिं पासा, कामधेनु कर जहाँ निवासा !!१९!!
भोलेनाथ श्राप जब पाये , सीधे वह गोलोक सिधाये !!२०!!
शिव करन सुरभि की स्तुति लागे, परिकरमा कर माँ के आगे !!२१!!
हाँथ जोड़ शिव बात बताई,
तपती देह श्राप से माई !!२२!!
तोरी शरण मात मैं आया,
शीतल कर दो मेरी काया !!२३!!
सुरभि देह में प्रविशे शंकर,
जग कोलाहल मचा भयंकर !!२४!!
तब सबहिं देव मिल स्तुति गाये,
पता पाय गोलोक सिधाये !!२५!!
सूर्य समान सुरभि सुत देखा,
नील नाम था तेज विशेषा !!२६!!
गो सेवक थे कृष्ण मुरारी,
जिनकी महिमा सबसे न्यारी !!२७!!
कान्हा वन में गाय चराते,
दूध दही पी माखन खाते !!२८!!
जबहिं कृष्ण बाँसुरी बजायें,
बछड़े गाय लौट आ जायें !!२९!!
जिस घर हो माँ तेरा वासा,
दुःख पीड़ा किम आवहिं पासा !!३०!!
हो जहँ कामधेनु की पूजा,
पुण्य नहीं इससे बड़ दूजा !!३१!!
माता तुमने ऋषि मुनि तारे,
देव मनुज के भाग्य सँवारे !!३२!!
वेद पुराणों में तव गाथा,
युगों युगों से है तव साथा !!३३!!
तुमहिं मनुज के भाग्य सँवारे,
अंत काल वैतरिणी तारे !!३४!!
तव महिमा किम गाऊँ माते,
तुममे चारो धाम समाते !!३५!!
पंचगव्य की महिमा न्यारी,
तुमसे ही है दुनिया सारी !!३६!!
प्रातकाल जो दर्शन पायें ,
बिगड़े काज आप बन जायें !!३७!!
हाँथ जोड़ जो शीश नवाये,
बुरी बला से मात बचाये !!३८!!
जो जन गौ चालीसा गाये,
सुख सम्पति ताके घर आये !!३९!!
‘चेतन’ है माँ तेरा दासा,
मात ह्रदय में करो निवासा !!४०!!
गौ-चालीसा जो पढ़े, नित्य नियम उठ प्रात !
ज्ञान संग धन यश बढ़े, कष्ट हरे गौ मात !!
गौ वंदन जो कर लिये, पूरण चारो धाम !
तरणि तीर कान्हा मिले, पाये सरयू राम !!
॥ इति श्री गौ-चालीसा ॥
“गौमाता की सेवा और गौ-चालीसा का पाठ हमें धर्म, भक्ति और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की ओर ले जाता है।”
आचार्य आस्तिक कुमार झा वेद ज्योतिष कर्मकाण्ड विशेषज्ञ https://www.facebook.com/acharyaaastikkumar.jha KB:- गौ-चालीसा | Image Source – Google
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