गाय, जिसे हिन्दू संस्कृति में गो माता कहा जाता है, केवल एक पशु नहीं बल्कि एक दिव्य स्वरूप मानी जाती है। जीवन के हर चरण में गो माता से जुड़ी परंपराएं देखने को मिलती हैं। चाहे जन्म हो, विवाह हो, या मृत्यु—हर अवस्था में गो माता का विशेष स्थान होता है।
गो माता का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
हर व्यक्ति जन्म के समय एक गोत्र से जुड़ा होता है। यह दर्शाता है कि हमारा अस्तित्व गोवंश से जुड़ा है।
विवाह के शुभ मुहूर्त में “गो धूलि बेला” (शाम के समय जब गौएं चरकर लौटती हैं) का विशेष महत्व है।
मृत्यु के बाद आत्मा के गोलोक धाम जाने की मान्यता है, जो भगवान श्रीकृष्ण का धाम है।
वैतरणी नदी पार करने के लिए गो दान को श्रेष्ठ माना गया है।
लेकिन विडंबना यह है कि हर कामना पूरी करने के लिए गो माता का सहारा लिया जाता है, पर उनकी सेवा के लिए समय नहीं निकाला जाता।
गो माता से जुड़े रोचक तथ्य
- जहां गौ माता आनंदपूर्वक खड़ी रहती है, वहां का वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
- गाय के प्रसन्नतापूर्वक रंभाने से देवी-देवता वहां पुष्प वर्षा करते हैं।
- गाय के गले में घंटी बांधने से प्राकृतिक रूप से गौ आरती होती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- जो व्यक्ति गो माता की सेवा करता है, उस पर आने वाली सभी विपदाओं को गौ माता हर लेती है।
- गाय के खुरों में नागदेवता का वास माना जाता है, इसलिए जहां गो माता विचरण करती है, वहां सांप और बिच्छू नहीं आते।
- गाय के गोबर में माता लक्ष्मी का वास होता है, जिससे घर में समृद्धि आती है।
- गाय की एक आंख में सूर्य और दूसरी आंख में चंद्र देव का वास माना जाता है।
- गाय के दूध में सुवर्ण तत्व पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- गाय की पूंछ में हनुमानजी का वास माना जाता है। बुरी नजर दूर करने के लिए गाय की पूंछ से झाड़ा लगाना शुभ होता है।
- गाय की पीठ पर स्थित “सूर्य केतु नाड़ी” पर प्रतिदिन हाथ फेरने से अनेक रोग समाप्त हो जाते हैं।
- एक गौ माता को चारा खिलाने से 33 कोटी देवी-देवताओं को भोग लग जाता है।
- गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र से बने पंचगव्य से हजारों रोगों का उपचार संभव है।
- जिस व्यक्ति की भाग्यरेखा कमजोर हो, वह अपनी हथेली पर गुड़ रखकर गाय को खिलाए। जब गाय जीभ से चाटेगी, तब भाग्यरेखा प्रबल हो जाएगी।
- गाय के चारों चरणों के बीच से निकलकर परिक्रमा करने से मनुष्य भयमुक्त हो जाता है।
- गौ माता के गर्भ से ही धर्मरक्षक गौ कर्ण जी महाराज का जन्म हुआ था।
- गौ माता की रक्षा के लिए ही कई देवी-देवताओं ने इस धरती पर अवतार लिया है।
- गाय के पहले दूध का सेवन करने से बांझ स्त्री को संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।
- रोजाना दो तोला गोमूत्र सात परत के कपड़े से छानकर पीने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं।
- गाय जब किसी को वात्सल्य भरी दृष्टि से देखती है, तो उस व्यक्ति पर गौ कृपा हो जाती है।
- काली गाय की पूजा करने से सभी नवग्रह शांत हो जाते हैं और शत्रु दोष समाप्त होते हैं।
- गाय को चलते-फिरते मंदिर के समान माना गया है क्योंकि इसमें 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है।
- यदि कोई शुभ कार्य बार-बार रुक रहा हो, तो गौ माता के कान में अपनी समस्या कहें। जल्द ही समाधान मिलेगा। गौ माता समस्त सुखों और शांति की दात्री है।
निष्कर्ष
गौ माता न केवल धर्म और अध्यात्म से जुड़ी हुई हैं, बल्कि वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उनका संरक्षण और सेवा करना केवल एक धार्मिक कर्तव्य ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए वरदान भी है।
हे गौ माता, आपकी महिमा अनंत है।
जय गौ माता, जय श्रीकृष्ण!