गायत्री मंत्र के क्या लाभ हैं |

गायत्री मंत्र के क्या लाभ हैं |

गायत्री मंत्र के क्या लाभ हैं | -हिन्दू शास्त्रों में मंत्र जप का विशेष महत्व होता है। मंत्र जप एक ऐसा उपाय है जिसको करने से तो मानसिक शांति तो मिलती ही है साथ ही जीवन में आने वाली तमाम तरह की बाधाएं भी दूर हो जाती है। यही कारण है कि शास्त्रों में मंत्रों को बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है। इन्हीं मंत्रों में से एक खास मंत्र है गायत्री मंत्र जिसका जप करने से कई फायदे होते हैं। आइए जानते है इसके कुछ फायदे के बारे में।

  1. गायत्री मंत्र का जप अगर सबसे ज्यादा किसी को फायदा पहुंचाता है वह छात्रों को। अगर कोई छात्र का मन पढ़ने में नहीं लगता है तो रोजाना गायत्री मंत्र का जप करने इस समस्या का निदान हो जाता है।
  2. अगर किसी इंसान को संतान प्राप्ति करने में समस्या आ रही हो या फिर संतान को कई तरह की परेशानियां  घेरे रहती है तो गायत्री मंत्र का जप करने से यह बाधा भी दूर हो जाती है।
  3. यदि किसी लड़के या लड़की के विवाह में कोई देरी होती है तो सोमवार के दिन गायत्री मंत्र का 108 बार जप करने से विवाह कार्य  में आने वाली सारी बाधांए दूर हो जाती है।
  4. यदि नौकरी से परेशान हैं, व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है या फिर मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है तो गायत्री मंत्र का जाप करना सबसे शुभ माना जाता है। शुक्रवार के दिन पीले वस्त्र पहनकर गायत्री मंत्र का जाप करने से इस समस्या से निजात मिल जाती है।
  5. गायत्री मंत्र के नियमित जप से गंभीर से गंभीर रोगो का नाश होता है। किसी भी शुभ मुहूर्त में कांसे के बर्तन में जल भरकर 108 बार गायत्री मंत्र का जप किया जाय तो रोग दूर भागते हैं 
  6. क्रूर से क्रूर ग्रह-शान्ति में, शमी-वृक्ष की लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े कर,गूलर-पाकर-पीपर-बरगद की समिधा के साथ ‘गायत्री-मन्त्र से 108 आहुतियाँ देने से शान्ति मिलती है।
  7. महान प्राण-संकट में कण्ठ-भर या जाँघ-भर जल में खड़े होकर नित्य 108 बार गायत्री मन्त्र जपने से प्राण-रक्षा होती है।
  8. शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे गायत्री मन्त्र जपने से सभी प्रकार की ग्रह-बाधा से रक्षा होती है।
  9.  ‘गुरुचि’ के छोटे-छोटे टुकड़े कर गो-दुग्ध में डुबोकर नित्य १०८ बार गायत्री मन्त्र पढ़कर हवन करने से ‘मृत्यु-योग’ का निवारण होता है।
  10. गायत्री मंत्र के हवं को मृत्युंजय हवन भी कहते है।
  11. आम के पत्तों को गो-दुग्ध में डुबोकर ‘हवन’ करने से सभी प्रकार के ज्वर में लाभ होता है।
  12. मीठा वच, गो-दुग्ध में मिलाकर हवन करने से ‘राज-रोग’ नष्ट होता है।
  13. शंख-पुष्पी के पुष्पों से हवन करने से कुष्ठ-रोग का निवारण होता है।
  14. गूलर की लकड़ी और फल से नित्य१०८ बार हवन करने से ‘उन्माद-रोग’ का निवारण होता है।
  15. ईख के रस में मधु मिलाकर हवन करने से ‘मधुमेह-रोग’में लाभ होता है।
  16. गाय के दही, दूध व घी से हवन करने से ‘बवासीर-रोग’ में लाभ होता है।
  17. बेंत की लकड़ी से हवन करने से विद्युत्पात और राष्ट्र-विप्लव की बाधाएँ दूर होती हैं।
  18. कुछ दिन नित्य 108 बार गायत्री मन्त्र जपने के बाद जिस तरफ मिट्टी का ढेला फेंका जाएगा, उस तरफ से शत्रु, वायु, अग्नि-दोष दूर हो जाएगा।
  19. दुःखी होकर, आर्त्त भाव से मन्त्र जप कर कुशा पर फूँक मार कर शरीर का स्पर्श करने से सभी प्रकार के रोग, विष, भूत-भय नष्ट हो जाते हैं।
  20. 108 बार गायत्री मन्त्र का जप कर जल का फूँक लगाने से भूतादि-दोष दूर होता है।
  21. गायत्री जपते हुए फूल का हवन करने से सर्व-सुख-प्राप्ति होती है।
  22. लाल कमल या चमेली फुल एवं शालि चावल से हवन करने से लक्ष्मी-प्राप्ति होती है।
  23. बिल्व-पुष्प, फल, घी, खीर की हवन-सामग्री बनाकर बेल के छोटे-छोटे टुकड़े कर, बिल्व की लकड़ी से हवन करने से भी लक्ष्मी-प्राप्ति होती है।
  24. शमी की लकड़ी में गो-घृत, जौ, गो-दुग्ध मिलाकर 108 बार एक सप्ताह तक हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।
  25. दूध-मधु-गाय के घी से 7 दिन तक 108 बार हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।
  26. बरगद की समिधा में बरगद की हरी टहनी पर गो-घृत, गो-दुग्ध से बनी खीर रखकर 7 दिन तक 108 बार हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।
  27. दिन-रात उपवास करते गुए गायत्री मन्त्र जप से यम पाश से मुक्ति मिलती है।
  28. मदार की लकड़ी में मदार का कोमल पत्र व गो-घृत मिलाकर हवन करने से विजय-प्राप्ति होती है।
  29. अपामार्ग, गाय का घी मिलाकर हवन करने से दमा रोग का निवारण होता है।
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विशेष- प्रयोग करने से पहले कुछ दिन नित्य 1008 या 108 बार गायत्री मन्त्र का जप व हवन करना चाहिए।

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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।