पत्नी प्राप्ति मंत्र
भारतीय संस्कृति और शास्त्रों के अनुसार अच्छे वर और वधु प्राप्त करने के लिए प्राय: सभी भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करते है | इसमें लड़कियाँ सुयोग्य वर के लिए माता पार्वती और भगवान शिव कि उपासना करती है तो लड़के सुलक्षणा पत्नी हेतु भगवान शिव उपासना करते है | ( पत्नी प्राप्ति मंत्र )
अतएव सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति हेतु भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को प्रसन्न करने का मंत्र निम्न प्रकार है:-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृतानु सारिणीम् |
तारिणीम् दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम ||
मंत्र जप विधि:- मंत्र जप हेतु प्रात: या संध्या काल का समय सर्वश्रेष्ठ माना जाता है | प्रात: या संध्या को शारीरिक रूप से शुद्ध होकर, आसन को शुद्धिकरण करके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर आसन पर विराजमान होवें, तदन्तर अपने सम्मुख शिवपरिवार या शिव-पार्वती की तस्वीर रखकर उनको अपने सम्मुख जानकर पूर्ण श्रृद्धा से उनको प्रणाम करें | अब दिए गए मंत्र का जाप आरम्भ करे |
ध्यान रखिये मंत्र के शुभ परिणाम हेतु आपको मंत्र पर पूर्ण श्रृद्धा तथा विश्वास होना आवश्यक है तथा प्रतिदिन इस मंत्र का कम से कम बार जप अवश्य करें |
यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल उपरोक्त पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।
सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति मंत्र
दुर्गा सप्तशती की पुस्तक मे से नित्य ”अर्गला- स्तोत्र” का एक पाठ (पूर्ण रूप में) करने से सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति संभव हो जाती है।
यदि अर्गला-स्तोत्र का पूर्ण रूप में पाठ न कर सकें तो विवाहेच्छुक युवक को अर्गला स्तोत्र के 24वें श्लोक का मंत्र रूप में 108 बार पाठ या जप करने से पत्नी रूपी गृहलक्ष्मी की प्राप्ति संभव होती है।
कोई भी प्रयोग कृष्ण पक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी तिथि से आरंभ कर विवाह संबंध सुनिश्चित हो जाने तक सतत करते रहना चाहिये। पाठ के समय शुद्धता रखनी चाहिए। दुर्गाजी की नित्य सामान्य पूजा जल, पुष्प, फल, मेवा, मिष्ठान्न, रोली व कुंकुम या लाल चंदन, गंध आदि से करते रहना चाहिये। सप्ताह में कम से कम एक ब्राह्मण व दो कन्याओं को भोजन करना चाहिये। प्रतिदिन पाठ के उपरांत कम से कम ग्यारह आहुतियां दुर्गाजी के नाम से देनी चाहिये। पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भावना के साथ इस तरह के विधान का पालन करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं। नवदुर्गा यंत्र या दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना पाठ के प्रथम दिन करनी चाहिये।
सुयोग्य पत्नी प्राप्ति मंत्र
स देवि नित्यं परितप्यमानस्त्वामेव सीतेत्यभिभाषमाणः ।
धृतव्रतो राजसुतो महात्मा तवैव लाभाय कृतप्रयत्नः॥
यह श्री बाल्मीकी रामायण के सदुंरकांड के 36 वें सर्ग का 46 वां श्लोक है। विवाह की कामना लेकर श्री हनुमान जी का ध्यान, पूजन, विनय आदि के साथ कोई अविवाहित युवक आदि किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नित्य प्रातः 108 बार पाठ करें तो सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति होती है। पाठ के समय हनुमान जी के चित्र के समक्ष या मूर्ति के समक्ष उत्तराभिमुख घृत-दीप जलते रहना चाहिए। श्री हनुमान जी को प्रतिदिन मधुर फलों का भोग लगाना चाहिए। मंगलवार को सिंदूर और चमेली का तेल चोले के रूप में मंदिर में भेंट करना चाहिए।
बाल्मीकी रामायण, रामचरित मानस सुंदर कांड, मूलरामायण का सम्पुटित पाठ उपरोक्त श्लोक का सम्पुट लगाकर करने से भी सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति होती है।
शीघ्र पत्नी प्राप्ति मंत्र
यदि किसी अविवाहित युवक को विवाह होने में बारंबार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो ऐसे युवक को चाहिये कि वह नित्य प्रातः स्नान कर सात अंजली जलं ”विश्वावसु” गंधर्व को अर्पित करे और निम्न मंत्र का 108 बार मन ही मन जप करे। इसे गुप्त रखें। अर्थात् किसी को इस बात का आभास न होने पाये कि विवाह के उद्देश्य से जपानुष्ठान किया जा रहा है। सायंकाल में भी एक माला जप मानसिक रूप में किया जाय। ऐसा करने से एक माह में सुंदर, सुशील और सुसम्पन्न कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है।
जपनीय मंत्र :
‘ ‘ ऊँ विश्वा वसुर्नामगं धर्वो कन्यानामधिपतिः।
सुरूपां सालंकृतां कन्या देहि में नमस्तस्मै॥
विश्वावसवे स्वाहा॥”
इस प्रकार से विश्वावसु नामक गंधर्व को सात अंजली जल अर्पित करके उपरोक्त मंत्र/विद्या का जप करने से एक माह के अंदर अलंकारों से सुसज्जित श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति होती है। कहा भी गया है।
सालंङ्कारा वरां
पानीयस्याान्जलीन सप्त दत्वा, विद्यामिमां जपेत्।
सालंकारां वरां कन्यां, लभते मास मात्रतः॥
यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।
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आचार्य दिवाकर जी महाराज ।Team Praysure पत्नी प्राप्ति मंत्र
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