राज पुरुषों के क्या लक्षण हैं |

राज पुरुषों के क्या लक्षण हैं |

राज पुरुषों के क्या लक्षण हैं | – भविष्य पुराण में कार्तिकेय जी के पुछने पर ब्रह्मा जी के द्वारा राज पुरुषों के क्या लक्षण है इस संबंध में एक प्रसंग है | यहाँ मुख्य रूप से मनुष्यों के शरीर की बनाबट के अनुसार राज योग का वर्णन किया गया है | अगर यह लक्षण सामान पुरुषो में भी पाये जाते हैं तो वें भी राजा के सामान माने जाते हैं | आइये जानते हैं राज पुरुषो के क्या लक्षण हैं ?

  • जिन पुरुषों के नाभि, स्वर और कमर ये तीन ऊंचे हों, मुख, ललाट और वक्षस्थल (सीना) ये तीनों फैला हुआ हो तो एसे पुरुष राज लक्षणो वाले कहें गए हैं |
  • जिन पुरुषों के दाँत, केश, अंगुली, त्वचा, तथा नाखून छोटे हों, जिनके नेत्र कमलदल के समान बड़े तथा रक्त वर्ण हों वह लक्ष्मी का स्वामी होता है |
  • शहद के समान नेत्रवाला पुरुष महात्मा होता है | नीलकमल के समान नेत्र होने पर विद्वान श्यामवर्ण के समान नेत्र होनेपर सोभाग्यशाली, विशाल नेत्र होने पर भाग्यवान, स्थूल नेत्र होने पर राजमंत्री और दिन नेत्र होने पर दरिद्र होता है |
  • भोहें विशाल होनेपर सुखी, ऊंची होनेपर अल्पायु और बहुत लंबी होने पर दरिद्र तथा सटे होने पर अत्यधिक धन खर्च करनेवाला होता है |मध्यभाग में नीचे झुकी होने पर आज्ञाकारी एवं बालचंद्रकला के (सामान्य) होने पर राजा होता है |
  • ऊंचा और निर्मल ललाट होने पर यशवान एवं धनयुक्त होता है, ललाट में कहीं ऊँचा और कहीं नीचा होने पर धनहीन तथा सीपके समान ललाट होने पर विद्वान होता है |
  • हंसमुख और दीनतासे रहित मुख शुभ होता है, दैन्यभाव युक्त होने पर अशुभ होता है |
  • गोल सिरवाला पुरुष अनेक प्रकार के धनों का स्वामी तथा चिपटा सिर वाला माता पिता को मारनेवाला होता है |घण्टे के समान सिरवाला व्यक्ति घूमने फिरने वाला होता है | झुके हुए सिर वाला अनेक अनर्थों को करनेवाला होता है |
See also  महाशिवरात्रि पर करे अचूक उपाय, भोले बाबा करेंगे अपार कृपा |

संदर्भ :- भविष्य पुराण, ब्रहमपर्व

नम्र निवेदन :- प्रभु की कथा से यह भारत वर्ष भरा परा है | अगर आपके पास भी हिन्दू धर्म से संबधित कोई कहानी है तो आप उसे प्रकाशन हेतु हमें भेज सकते हैं | अगर आपका लेख हमारे वैबसाइट के अनुकूल होगा तो हम उसे अवश्य आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे |

अपनी कहानी यहाँ भेजें | Praysure को Twitter पर फॉलो, एवं Facebook पेज लाईक करें |

प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।