रिश्तों का राशिफल -दिल लगाने से पहले जाने राशियों का मेल

रिश्तों का राशिफल

रिश्तों का राशिफल –समय बदला है। यह एक वैश्विक युग है जहाँ सोच, संबंध, और मूल्य सभी बदले हैं। नई संस्कृति जन्म ले रही है, जिसमें प्रेम, त्याग, प्रतीक्षा, और वायदे जैसी परंपराएँ नए रूप ले रही हैं। संचार क्रांति और विज्ञान ने न केवल जीवन को बदल दिया है बल्कि प्रेम के आदर्शों को भी प्रभावित किया है। इसके बावजूद, ज्योतिष शास्त्र में ग्रह दशा, ग्रह संबंधों और राशियों के मेल का महत्व आज भी बना हुआ है।

यदि दिल लगाने से पहले राशियों के मेल का विचार किया जाए, तो यह प्रेम को दीर्घकालिक, प्रगाढ़, और आध्यात्मिक बना सकता है। यदि राशियाँ मेल नहीं खातीं, तो लाख चाहकर भी वैसा कुछ नहीं होगा जैसा दिल चाहता है। प्रेम की परिभाषा अब पहले जैसी नहीं रही। आधुनिक पीढ़ी के लिए प्रेम कई रूप ले चुका है, जिसमें दैहिक आकर्षण प्रमुख हो गया है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र आज भी इस संबंध में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

राशियों का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक राशि का एक स्वरूप और स्वभाव होता है। इनकी मित्रता, शत्रुता, प्रकृति, और स्वभाव का विश्लेषण दो व्यक्तियों के संबंध को समझने में मदद करता है। यहाँ बारह राशियों के स्वभाव और उनके संबंधों का वर्णन दिया गया है।

दिल लगाने और प्रेम-प्रणय के संबंध को जोड़ने में स्त्री-पुरुष के बीच आकर्षण, अनुकूलता, सहचर्य, और परस्पर हित-अहित जैसे पहलू बुनियादी महत्व रखते हैं। भले ही समय और युग बदलते रहे हों, लेकिन भावनात्मक प्रेम, आराधना का प्रेम, और हृदय में बसी छवि या मूर्ति के प्रति समर्पण का महत्व आज भी उतना ही गहरा है। इस संदर्भ में संत कबीर ने सत्य को बड़ी सटीकता से व्यक्त किया है:

अंखडियां झांई पड़ी पंथ निहार निहार,
जीहवणया छाला पडंच पीऊ पुकार पुकार।।

हालांकि, यह विषय गहराई से चर्चा की मांग करता है, जिसे फिर कभी विस्तार से समझा जाएगा। फिलहाल, प्रेम में दिल लगाने से पहले ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से मित्र राशियों और उनके मेल का महत्व समझना जरूरी है। बारह राशियों के स्वरूप और गुण स्वाभाविक रूप से उन राशियों में जन्मे व्यक्तियों के स्वभाव, रुचि, और प्रकृति में परिलक्षित होते हैं। स्त्री-पुरुष या वर-कन्या के बीच शत्रुता-मित्रता, पारस्परिक स्वभाव और प्रकृति के सामंजस्य में उनकी राशियों की भूमिका बेहद उपयोगी साबित होती है।

मेष राशि:

यह पुरुष राशि होती है। इसका स्वामी ग्रह मंगल है और इसका स्वभाव चंचल तथा क्रूर होता है। यह रोमांच और थ्रिल के शौक़ीन होते हैं। ऐसे लोग ऊर्जा, जोश और उत्साह से भरपूर होते हैं, और इन्हें ऐसे साथी की आवश्यकता होती है जो इनकी ऊर्जा को समझे। दीर्घकालिक प्रेम के मामले में यह सिंह राशि के जातकों के साथ आध्यात्मिक संबंध बना सकते हैं, और वृषभ राशि के जातकों के साथ प्रेम संबंध भी गहरे हो सकते हैं। कन्या, तुला, मकर, वृश्चिक, कुंभ और मीन राशि के जातकों से सामान्य रिश्ते बन सकते हैं। हालांकि, धनु और सिंह राशि के साथ संबंध बहुत अच्छे बनते हैं। मिथुन राशि के साथ दाम्पत्य जीवन की संभावनाएं भी मजबूत हो सकती हैं।

वृषभ राशि:

यह स्त्री राशि होती है। इसका स्वभाव स्वार्थी, कार्य में दक्ष, सूझ-बूझ वाली, और शांत-शीतल होता है। इस राशि की महिलाएँ बड़बोली नहीं होतीं, और उनका शारीरिक स्थिति शिथिल हो सकता है। इनके स्वामी ग्रह शुक्र होते हैं, और ये दिल से ईमानदार होती हैं, इसलिए इन्हें भी ऐसा ही ईमानदार और विश्वसनीय साथी चाहिए। दीर्घकालिक प्रेम के लिए यह मकर राशि के जातकों के साथ जुड़ सकती हैं। रोमांटिकता और एक्शन की बात हो तो तुला राशि के जातकों के साथ संबंध बन सकते हैं। सहचर्य संतुष्टि मीन राशि के जातकों के साथ मिल सकती है। आध्यात्मिक प्रेम मेष राशि के जातकों से होगा। वृषभ के साथ वृषभ राशि के जातकों का मिलन प्रेम में तो हो सकता है, लेकिन दैहिक संबंध नहीं बन पाएंगे। वृषभ के साथ मेष राशि के जातकों से मित्रता संभव है। तुला राशि के प्रेमी-प्रेमिका का प्रेम चर्चित हो सकता है, लेकिन कुंभ और मीन राशि वालों से ज्यादा उम्मीदें नहीं होतीं। मकर और मीन राशि से यौन सुख मिल सकता है, जबकि कन्या राशि से सामान्य खुशी मिल सकती है।

मिथुन राशि:

राशि मंडल में यह दो प्रमुख ताराओं के संयोग से बनी होती है, जिनमें से एक अधिक और दूसरी कम प्रकाशमान होती है। इसका स्वभाव चंचल, क्रूरधर्मा, शांत, प्रेम और सहचर्य की ताकत से भरपूर होता है, और यह द्विस्वभाव (दोहरी प्रकृति) होती है। इसके स्वामी ग्रह बुध होते हैं। इस राशि के जातकों को तेज़ रफ्तार वाली जिंदगी पसंद होती है और ऐसे साथी की तलाश रहती है जो सहचर्य और योनेच्छा को समझे।

लंबे समय तक प्रेम संबंधों में यह तुला राशि के जातकों के साथ अच्छा मेल खाती है, और रोमांटिकता की दृष्टि से यह मिथुन राशि के जातकों के साथ भी जुड़ सकती है। सहचर्य सुख मेष राशि के जातकों के साथ मिल सकता है, जबकि आध्यात्मिक प्रेम कन्या राशि के जातकों से होगा। कन्या राशि के साथ आध्यात्मिक प्रेम में वृद्धि हो सकती है, जबकि तुला राशि के जातकों से आजीवन प्रेम-प्रणय संबंध प्रगाढ़ और अटूट रह सकते हैं।

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मेष राशि के स्त्री-पुरुष के साथ कामेच्छा समझी जा सकती है, और सहचर्य सुख पर्याप्त मिलेगा। हालांकि, वृषभ, कर्क, मकर, धनु, कुंभ, वृश्चिक, और मीन राशि वालों से भले ही मानसिक संबंध बन सकते हैं, लेकिन दैहिक संबंधों की संभावना बहुत कम होती है।

कर्क राशि:

यह स्त्री राशि होती है, जिसका स्वभाव चंचल लक्षणों से युक्त, कोमल, सौम्य और रजोगुणी होता है। इसके स्वामी ग्रह चन्द्रमा होते हैं। इस राशि के शरीर में पेट, हृदय और गुर्दे से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं।

दीर्घकालिक प्रेम में यह मीन राशि के जातकों के साथ जुड़ सकती हैं। रोमांटिकता और रोमांचकता के लिए कर्क राशि के जातकों के साथ अच्छा मेल हो सकता है। यौन सुख और अभिसार से संतुष्टि कुंभ राशि के जातकों के साथ मिल सकती है, जबकि आध्यात्मिक प्रेम धनु राशि के जातकों से होगा।

कर्क राशि के जातक सामान्यतः धीर, गंभीर और समझदार साथी की तलाश में होते हैं। वे अपनी बात कहने से पहले विश्वास और भरोसा जमाना चाहते हैं, इसलिए मेष राशि की अधीर प्रवृत्ति उनके लिए उपयुक्त नहीं हो सकती। मिथुन राशि की रूमानियत भी अकेलेपन का अहसास करवा सकती है। वहीं, अपनी ही राशि के जातक के साथ दैहिक और मानसिक दोनों प्रकार का सुख मिल सकता है।

सिंह राशि:

यह पुरुष राशि होती है और सिंह के रूप में इसका स्वरूप होता है। यह राशि क्रूर जातकों की होती है, जो क्रूर धर्मी, रजोगुणी और अग्नितत्व प्रधान होते हैं। इसके शरीर में पेट, पीठ, रक्त, जिगर और दिल से संबंधित अंग होते हैं। इस राशि का स्वभाव संबंधों को मनोरंजक कार्यों से जोड़ता है। इसका स्वामी ग्रह सूर्य होता है।

दीर्घकालिक प्रेम में सिंह राशि के जातक मेष राशि के जातकों के साथ जुड़ सकते हैं। रोमांटिकता में कुछ खट्टा और कुछ मीठा, दिल को लुभाने वाला अंदाज वृश्चिक राशि के जातकों के साथ हो सकता है, और यौन संतुष्टि धनु राशि की स्त्री के साथ मिल सकती है।

सिंह राशि के जातकों को ऊपरी तौर पर पार्टी की शौकीन साथी चाहिए, लेकिन वास्तविकता में उन्हें एक प्रतिबद्ध और मान्यताओं को मानने वाली संगिनी चाहिए। वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि के साथ प्यार तो हो सकता है, लेकिन देह सुख की संभावना नहीं होती। मेष राशि के साथ प्रेम, आनंद, मौज और मस्ती का अनुभव किया जा सकता है।

कन्या राशि:

यह स्त्री जाति की राशि है, जिसका स्वभाव ठंडा और मितव्ययी होता है। इस राशि के जातक अधिकतम एक या दो संतानों की चाह रखते हैं। इसकी प्रकृति कुछ हद तक मिथुन राशि के समान होती है। इसके स्वामी ग्रह बुध हैं, और शरीर में यह कटि (कमर), पेट और आंतों से संबंधित होती है।

दीर्घकालिक प्रेम वृश्चिक राशि के साथ हो सकता है। रोमांटिक और चुलबुले अंदाज के लिए अपनी ही राशि के जातकों के साथ अच्छा मेल हो सकता है। यौनानंद मकर राशि की स्त्री के साथ मिलेगा, जबकि आध्यात्मिक प्रेम मिथुन राशि के जातकों के साथ जुड़ सकता है।

कन्या राशि के जातक स्वतंत्रता प्रिय होते हैं और सही साथी मिलने पर उनके जीवन में स्थिरता और प्रेम जल्द आ सकता है। हालांकि, कर्क, सिंह, तुला, धनु, कुंभ, और मीन राशि की महिलाएँ अधिक समय तक साथ नहीं दे सकतीं। वृषभ राशि के जातकों के साथ ईमानदार और विश्वसनीय प्रेम संबंध बन सकता है।

तुला राशि:

यह राशि न्याय की प्रतीक और वणिक प्रवृत्ति वाली होती है। इसके स्वभाव में क्रूरता, चंचलता, चतुराई और धर्म का पालन शामिल होता है। यह रजोगुणी, युवा और प्रेमी स्वभाव की होती है तथा त्रिधातु प्रकृति से युक्त और दिग्बली होती है। इस राशि के स्वामी शुक्र ग्रह हैं। शरीर में यह नाभि, कमर, मूत्राशय और गुर्दों से संबंधित होती है।

तुला राशि के जातक प्रेम और स्नेह में गहराई रखते हैं, लेकिन इनकी कमजोर प्रवृत्ति सही साथी को पाने में बाधा बन सकती है। मेष राशि की स्त्री के साथ यह संबंध कुछ समय तक चल सकता है, लेकिन दीर्घकालिक नहीं रहेगा।

कर्क, सिंह, कन्या, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि के साथ प्रेम संबंध बनने की संभावना कम है, और यदि ऐसा हुआ भी तो ये संबंध जल्दी टूट सकते हैं।

वृश्चिक राशि:

यह बृहदकाय स्त्री राशि है, जिसका स्वभाव सौम्य, धार्मिक, शांत और स्थिर होता है। वृश्चिक राशि के जातक दृढ़प्रतिज्ञ, तमोगुणी और ऊर्जा से भरपूर होते हैं। इस राशि का स्वामी मंगल ग्रह है। शरीर में इसका प्रभाव गुप्तेन्द्रिय, जंघा, ऊरू और मूत्राशय पर होता है।

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प्रेम और संबंध:

  • दीर्घकालिक प्रेम: कन्या राशि के जातकों के साथ गहरा और स्थायी प्रेम हो सकता है।
  • रोमांटिक व्यवहार: सिंह राशि के जातकों के साथ रोमांटिकता और आकर्षण देखने को मिल सकता है।
  • दैहिक सुख: वृश्चिक राशि के जातकों के साथ संबंध दैहिक सुख प्रदान करेंगे।
  • आध्यात्मिक प्रेम: तुला राशि के जातकों के साथ आध्यात्मिक प्रेम की संभावना है।

वृश्चिक राशि के जातकों में जोश, जुनून और हर हद को पार करने का जज़्बा होता है। इनमें भरपूर ऊर्जा होती है, जो इन्हें विशेष बनाती है।

  • मेष राशि: इनके साथ शारीरिक सुख तो मिलेगा, लेकिन प्रेम संबंध में उतार-चढ़ाव की संभावना रहेगी।
  • वृषभ, मिथुन, कर्क, धनु, कुंभ, मीन: इन राशियों के साथ विशेष संबंध बनने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन एक बार जुड़ने पर रिश्ते में स्थिरता आ सकती है।

धनु राशि:

यह राशि आशा और उन्मुक्तता का प्रतीक है। धनु राशि के जातकों का स्वभाव स्वतंत्रता प्रिय होता है, और इन्हें ऐसा साथी चाहिए जो उनकी स्वतंत्रता को समझ सके। यह आधा मानवीय और आधा पशुवत स्वभाव की समधर्मी करुणामय पुरुष राशि है।

स्वभाव:

  • मधुरभाषी, किंचित क्रूर, धर्मपरायण, चंचल लेकिन शांत लक्षणों से युक्त।
  • द्विस्वभावी और सत्वगुणी।
  • इसके स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं।
  • शरीर में इसका प्रभाव उरू, जंघा, नितम्ब और कूल्हों पर होता है।

प्रेम और संबंध:

  • दीर्घकालिक प्रेम: धनु राशि के जातकों के साथ दीर्घकालिक प्रेम संभव है।
  • रोमांटिकता: कुंभ राशि के जातकों के साथ रोमांटिक संबंध अच्छे हो सकते हैं।
  • यौन संतुष्टि: सिंह राशि की स्त्री के साथ यौन संबंध में संतुष्टि मिलेगी।
  • आध्यात्मिक प्रेम: कर्क राशि के जातकों के साथ आध्यात्मिक प्रेम हो सकता है।

विशेष संबंध:

  • मेष राशि की प्रेमिका के साथ देह सुख तो मिलेगा, लेकिन प्रेम का संबंध स्थायी नहीं रहेगा, और प्रीत की डोर कभी भी टूट सकती है।
  • वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, और मीन राशि के जातकों के साथ प्रेम संबंध बनने की संभावना बहुत कम है।

धनु राशि के जातकों को ऐसे साथी की आवश्यकता होती है जो उनके उन्मुक्त स्वभाव और स्वतंत्रता की भावना को समझे और सराहे।

मकर राशि:

यह स्त्री संज्ञक राशि है, जिसका स्वभाव उच्च दृष्टिकोण रखने वाला और प्रायः क्रूरधर्मी होता है। इस राशि का स्वामी ग्रह शनि है, और इसका प्रभाव शरीर के घुटनों पर होता है। मकर राशि के जातक संयमित, स्थिर, और दीर्घकालिक दृष्टिकोण वाले होते हैं।

स्वभाव और विशेषताएँ:

  • उच्च आकांक्षाएँ और आदर्शों की चाह।
  • प्रेम में गंभीरता और स्थिरता की तलाश।
  • साथी के साथ खुले संवाद और स्पष्टता को प्राथमिकता देते हैं।

प्रेम और संबंध:

  • दीर्घकालिक प्रेम: वृषभ राशि के जातकों के साथ लंबे समय तक स्थायी और गहरा प्रेम संबंध बन सकता है।
  • रोमांटिक अंदाज: मकर राशि के जातकों के साथ रोमांटिकता का अनुभव होगा।
  • स्त्री सुख: कन्या राशि के जातकों के साथ शारीरिक सुख संभव है।
  • आध्यात्मिक प्रेम: तुला राशि के जातकों के साथ आध्यात्मिक सुख की संभावना है।

संबंधों की चुनौतियाँ:

  • मिथुन: इनकी बेचैन और चंचल प्रवृत्ति मकर राशि के स्थिर स्वभाव के अनुकूल नहीं है।
  • कर्क: इनका अत्यधिक भावुक स्वभाव और संवेदनशीलता मकर राशि के लिए संतुलन कठिन बना सकता है।
  • सिंह: इनका अहंकार मकर राशि के साथ तालमेल में बाधा बन सकता है।
  • वृश्चिक: इनकी रहस्यमयी और जटिल प्रवृत्ति मकर राशि के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाती।
  • धनु: इनका खिलंदड़ा और लापरवाह स्वभाव मकर राशि के गंभीर दृष्टिकोण से मेल नहीं खाता।
  • कुंभ: इनका मूडी और अप्रत्याशित रवैया मकर राशि के स्थायित्व को चुनौती देता है।
  • मीन: इनकी कल्पनाशील और मानसिक रूप से भटकती प्रवृत्ति मकर राशि के व्यावहारिक स्वभाव के अनुकूल नहीं होती।

मकर राशि के जातकों को ऐसे साथी की आवश्यकता होती है जो उनकी गंभीरता, स्थिरता और आदर्शों को समझे और उनके जीवन में संतुलन ला सके।

कुंभ राशि:

यह राशि भक्ति और राजभक्ति की प्रतीक है। कुंभ राशि के जातक तमोगुणी स्वभाव, धर्मप्रियता और नए आविष्कारों में रुचि रखते हैं। इनका स्वामी ग्रह शनि है, और शरीर पर इसका प्रभाव पिंडली और दोनों जंघाओं पर होता है।

स्वभाव और विशेषताएँ:

  • तमोगुणी और लंपट प्रवृत्ति।
  • नए विचारों और अविष्कारों में रुचि।
  • धर्मप्रियता और आध्यात्मिक झुकाव।
  • स्वभाव में नाशकारी पहलू के साथ-साथ मौलिकता।

प्रेम और संबंध:

  • दीर्घकालिक प्रेम: कुंभ राशि के जातकों के साथ दीर्घावधि प्रेम संभव है।
  • रोमांटिक अंदाज और मौज-मस्ती: धनु राशि की महिला मित्र के साथ मौज-मस्ती और रोमांटिकता का अनुभव होगा।
  • देह संबंध: कर्क राशि के जातकों के साथ शारीरिक संबंध संभव हैं।
  • आध्यात्मिक प्रेम: वृषभ राशि के जातकों के साथ आध्यात्मिक प्रेम का संबंध बन सकता है।

संबंधों की सीमाएँ:

  • मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर और मीन राशि के साथ प्रेम संबंध स्थायी नहीं रहेंगे।
  • इन राशियों के साथ जुड़ने पर भावनात्मक और मानसिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
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कुंभ राशि के जातकों को लंबे समय तक प्रेम संबंध बनाए रखने के लिए अपनी ही राशि या उन राशियों को चुनना चाहिए जो उनकी विचारधारा और स्वभाव के अनुरूप हों। अत्यधिक उत्साह और जोखिम लेने से बचना उनके लिए बेहतर रहेगा, क्योंकि यह उनके दिल को चोट पहुंचा सकता है।

मीन राशि:

यह मध्यम और स्त्री संज्ञक राशि है, जो करुणा और कृपा की प्रतीक मानी जाती है। मीन राशि के जातक स्वभाव से सौम्य, धर्मपरायण, उदार और सत्वगुणी होते हैं। इनका मन कोमल होता है, और वे अपने शब्दों से दूसरों के दिल में जगह बना लेते हैं।

स्वभाव और विशेषताएँ:

  • सौम्य, उदार और धर्मप्रिय।
  • मन और हृदय से कोमल, मृदुभाषी और सहज।
  • स्वभाव में रोमांटिकता और भावुकता।
  • दूसरों के साथ आसानी से घुलने-मिलने की क्षमता।

प्रेम और संबंध:

  • दीर्घकालिक प्रेम: कर्क राशि की महिला के साथ दीर्घकालिक प्रेम का संबंध बन सकता है।
  • रोमांटिकता और मौज-मस्ती: मीन राशि की मित्र के साथ रोमांटिक संबंध और मस्ती का आनंद मिलेगा।
  • देह आनंद: वृषभ राशि के जातकों के साथ शारीरिक सुख संभव है।
  • आध्यात्मिक प्रेम: सिंह राशि के जातकों के साथ आध्यात्मिक प्रेम का अनुभव होगा।

संबंधों की सीमाएँ:

  • मेष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, और कुंभ राशि के जातकों के साथ प्रेम संबंध बनने की संभावना नहीं है।
  • इन राशियों के जातकों के दिल को जीतने के लिए किए गए सभी प्रयास असफल हो सकते हैं।

मीन राशि के जातकों को अपने स्वाभाविक रोमांटिक और सौम्य स्वभाव के कारण ऐसे साथी की आवश्यकता होती है जो उनकी भावनाओं को समझे और उन्हें गहराई से सराहे। उनके लिए वही संबंध अधिक उपयुक्त रहेंगे जो उनकी कोमलता और उदारता से मेल खाते हों।

बहरहाल, समय के साथ बदलाव हुआ है—युग बदले, जीवन के आयाम बदले, परंतु स्त्री-पुरुष के संबंधों की प्राकृतिकता आज भी अडिग है। प्रेम, साथ, और आकर्षण को बुरा मानना नासमझी है, क्योंकि ये जीवन के मूलभूत तत्व हैं। हालांकि, राशियों का प्रभाव इन संबंधों पर हमेशा बना रहेगा। यह अलग बात है कि आज के ग्लोबल और आधुनिक परिवेश में कुछ लोग इस सत्य को नजरअंदाज कर देते हैं।

प्रेम का यथार्थ:

प्रेम, प्रणय और संबंधों का यथार्थ समझना आसान नहीं है। “आई लव यू” कहना आज के समय में कभी एक सहारा बन जाता है तो कभी बहाने का जरिया। आधुनिकता के मेकअप से ढका यह यथार्थ, अंदरूनी झुर्रियों और भावनात्मक उलझनों को छिपा देता है। केवल वही व्यक्ति इन झुर्रियों की गहराई को समझ सकता है, जिसने इसे महसूस किया हो।

प्रेम की परिभाषा:

प्रेम एक उड़ान है, जिसमें ताजगी, आनंद, और खुशबू समाहित है। यह ढाई आखर का शब्द न केवल दिलों को जोड़ता है, बल्कि संकीर्णताओं के बंधन भी तोड़ सकता है। यह संबंधों में ऊर्जा और नई शुरुआत का संचार करता है।

ज्योतिष शास्त्र की भूमिका: रिश्तों का राशिफल

ज्योतिष शास्त्र प्रेम और संबंधों के यथार्थ को उजागर करता है। यह सिखाता है कि राशियों का प्रभाव न केवल व्यक्ति के स्वभाव, बल्कि उसके संबंधों और जीवन के हर पहलू पर पड़ता है। यह हमें सत्य और केवल सत्य बताने का दावा करता है, जिससे व्यक्ति अपने प्रेम और जीवन के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण पा सके।

प्रेम को समझने और उसे सही दिशा देने के लिए ज्योतिष के मार्गदर्शन को अपनाना आज भी प्रासंगिक है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करता है, बल्कि आधुनिकता के प्रभाव से बने भ्रमों को भी दूर करता है।

रिश्तों का राशिफल – आचार्य आस्तिक कुमार झा वेद ज्योतिष कर्मकाण्ड विशेषज्ञ https://www.facebook.com/acharyaaastikkumar.jha 

नम्र निवेदन :- प्रभु की कथा से यह भारत वर्ष भरा परा है | अगर आपके पास भी हिन्दू धर्म से संबधित कोई कहानी है तो आप उसे प्रकाशन हेतु हमें भेज सकते हैं | अगर आपका लेख हमारे वैबसाइट के अनुकूल होगा तो हम उसे अवश्य आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे | 

प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।