श्री राधा चालीसा
श्री राधा चालीसा का पाठ भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय श्री राधा रानी की कृपा प्राप्ति का सशक्त माध्यम है। इसे श्रद्धा और भक्ति भाव से पढ़ने से भक्त को असीम सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। राधा रानी को भक्ति और प्रेम की देवी माना गया है, और उनकी कृपा से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
श्री राधा चालीसा की महिमा:
- भक्त के मन को शुद्ध करती है: श्री राधा चालीसा के पाठ से मन पवित्र और सकारात्मक होता है। यह अहंकार, लोभ, और मोह जैसे दोषों को समाप्त करता है।
- प्रेम और भक्ति की शक्ति: राधा रानी का नाम लेने मात्र से भक्त का मन भक्ति और प्रेम से भर जाता है। चालीसा का पाठ भक्त और भगवान के बीच संबंध को और मजबूत करता है।
- संकटों का नाश: श्री राधा चालीसा के नियमित पाठ से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। धन, स्वास्थ्य, और पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह चालीसा आध्यात्मिक प्रगति में सहायक है। भक्त को राधा रानी और श्रीकृष्ण के दिव्य प्रेम का अनुभव होता है।
- विवाह और संतान की प्राप्ति: जिन भक्तों को विवाह और संतान प्राप्ति में बाधा आती है, वे इस चालीसा का पाठ करें। राधा रानी की कृपा से उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
- कृष्ण भक्ति का आशीर्वाद: राधा रानी की भक्ति के बिना श्रीकृष्ण की कृपा पाना कठिन है। श्री राधा चालीसा के पाठ से भगवान श्रीकृष्ण की भी कृपा स्वतः प्राप्त होती है।
श्री राधा चालीसा पाठ का सही समय और विधि:
- प्रातःकाल स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर राधा रानी के चित्र या मूर्ति के सामने दीप जलाकर पाठ करें।
- शुक्रवार या पूर्णिमा के दिन पाठ करना विशेष फलदायक होता है।
- चालीसा का पाठ कम से कम 40 दिनों तक करें।
॥ दोहा ॥
श्री राधे वुषभानुजा , भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी , प्रानावौ बारम्बार ॥
जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम ॥
॥ चौपाई ॥
जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा ।
नित्य बिहारिनी रस विस्तारिणी, अमित मोद मंगल दातारा ॥
राम विलासिनी रस विस्तारिणी, सहचरी सुभग यूथ मन भावनी ।
करुणा सागर हिय उमंगिनी, ललितादिक सखियन की संगिनी ॥
दिनकर कन्या कुल विहारिनी, कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनी ।
नित्य श्याम तुमररौ गुण गावै,राधा राधा कही हरशावै ॥
मुरली में नित नाम उचारें, तुम कारण लीला वपु धारें ।
प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी, श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ॥
नवल किशोरी अति छवि धामा, द्दुति लधु लगै कोटि रति कामा ।
गोरांगी शशि निंदक वंदना, सुभग चपल अनियारे नयना ॥
जावक युत युग पंकज चरना, नुपुर धुनी प्रीतम मन हरना ।
संतत सहचरी सेवा करहिं, महा मोद मंगल मन भरहीं ॥
रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा ।
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा ॥
उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा राम ब्रह्मिनी ।
नित्य धाम गोलोक विहारिन , जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ॥
शिव अज मुनि सनकादिक नारद, पार न पाँई शेष शारद ।
राधा शुभ गुण रूप उजारी, निरखि प्रसन होत बनवारी ॥
ब्रज जीवन धन राधा रानी, महिमा अमित न जाय बखानी ।
प्रीतम संग दे ई गलबाँही , बिहरत नित वृन्दावन माँहि ॥
राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा, एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।
श्री राधा मोहन मन हरनी, जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ॥
कोटिक रूप धरे नंद नंदा, दर्श करन हित गोकुल चंदा ।
रास केलि करी तुहे रिझावें, मन करो जब अति दुःख पावें ॥
प्रफुलित होत दर्श जब पावें, विविध भांति नित विनय सुनावे ।
वृन्दारण्य विहारिनी श्यामा, नाम लेत पूरण सब कामा ॥
कोटिन यज्ञ तपस्या करहु, विविध नेम व्रतहिय में धरहु ।
तऊ न श्याम भक्तहिं अहनावें, जब लगी राधा नाम न गावें ॥
व्रिन्दाविपिन स्वामिनी राधा, लीला वपु तब अमित अगाधा ।
स्वयं कृष्ण पावै नहीं पारा, और तुम्हैं को जानन हारा ॥
श्री राधा रस प्रीति अभेदा, सादर गान करत नित वेदा ।
राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं, ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥
कीरति हूँवारी लडिकी राधा, सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ।
नाम अमंगल मूल नसावन, त्रिविध ताप हर हरी मनभावना ॥
राधा नाम परम सुखदाई, भजतहीं कृपा करहिं यदुराई ।
यशुमति नंदन पीछे फिरेहै, जी कोऊ राधा नाम सुमिरिहै ॥
रास विहारिनी श्यामा प्यारी, करहु कृपा बरसाने वारी ।
वृन्दावन है शरण तिहारी, जय जय जय वृषभानु दुलारी ॥
॥ दोहा ॥ श्री राधा चालीसा
श्री राधा सर्वेश्वरी , रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम ॥
“राधे राधे” का जाप और श्री राधा चालीसा का पाठ भक्त के जीवन को सच्चे आनंद और शांति से भर देता है। राधा रानी की कृपा से संसार के सभी सुख स्वतः प्राप्त होते हैं।
आचार्य आस्तिक कुमार झा वेद ज्योतिष कर्मकाण्ड विशेषज्ञ https://www.facebook.com/acharyaaastikkumar.jha KW -श्री राधा चालीसा | Image Source – Google
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