मकर संक्रांति विशेष सूर्य साधना – मकर संक्रांति के पावन अवसर पर जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने के लिए मकर संक्राति को भगवान सुर्य तथा उनके पुत्र शनि देव की विशेष साधना की जाती हैं। इस साधना से साधक को सभि प्रकार के मनोवांछित फल मिलते हैं । पुराणो में मान्यता है कि मकर संक्राति का दिन बहुत हि पुण्यदायी होता है इस दिन किये गये पुण्यकर्म तथा दान कई गुणा फल देते हैं । यहां हम भविष्यपुराण अंतर्गत दिये गये विशेष सुर्य तथा शनि साधना कि विधि बता रहे हैं ।
सूर्य साधना
मकर संक्रांति विशेष सूर्य साधना के लिए सूर्य कवच, तांत्रोक्त आदित्य मणि, भोजपत्र, अष्टगंध और अनार की कलम जैसे सामग्रियों की आवश्यकता होती है। प्रातःकाल स्नान के पश्चात् एक तांबे का लोटा शुद्ध जल से भरें और उसमें कुमकुम, मोली तथा लाल पुष्प डालें। ‘‘ऊँ घृणी सूर्याय नमः’’ मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
सूर्य साधना हेतु आवश्यक सामग्री:
- सूर्य कवच
- तांत्रोक्त आदित्य मणि
- भोजपत्र
- अष्टगंध
- अनार की कलम
साधना विधि:
प्रातःकाल स्नान के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें और उसमें कुमकुम, मोली, तथा लाल पुष्प डालें। ‘‘ऊँ घृणी सूर्याय नमः’’ मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।
यह साधना सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच कभी भी की जा सकती है।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- अपने सामने एक बाजोट रखें और उस पर सफेद सूती वस्त्र बिछाएं।
- अपनी जन्मपत्रिका देखकर सूर्य की स्थिति के अनुसार गेहूं की ढेरियां बनाएं। यदि पत्रिका नहीं है, तो सात ढेरियां बना लें।
- ढेरियों पर चांदी, कांसे, या स्टील की थाली रखें।
- थाली में अष्टगंध से अष्टदल बनाएं।
- बाजोट के बाईं ओर तेल और दाहिनी ओर घी का दीपक जलाएं।
- अष्टगंध में गंगाजल मिलाकर स्याही बनाएं और अनार की कलम से भोजपत्र पर निम्नलिखित यंत्र लिखें:
- भोजपत्र को थाली में रखें और उसके ऊपर तांत्रोक्त आदित्य मणि व सूर्य कवच स्थापित करें।
- ‘‘ऊँ हृां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः’’ मंत्र का जाप करें।
- यदि जन्मपत्रिका हो तो सूर्य की स्थिति के अनुसार माला जाप करें, अन्यथा 7 माला का जाप करें।
फिर अष्टगंध लेकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्याही बना लें एवं अनार की कलम की सहायता से भोजपत्र पर यह यंत्र बनाए।
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यंत्र बनाने के पश्चात् भोजपत्र को थाली में स्थापित करें और उसके ऊपर तांत्रोक्त आदित्य मणि और सूर्य कवच रखें। ‘‘ऊँ हृां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः’’ मंत्र का जाप करें। यदि जन्मपत्रिका उपलब्ध हो, तो सूर्य की स्थिति के अनुसार माला जाप करें, अन्यथा सात माला का जाप करें। जाप समाप्त होने पर तांत्रोक्त आदित्य मणि और भोजपत्र को सूर्य कवच में डालकर इसे लाल धागे में पिरोकर गले में धारण करें। माता-पिता के चरण स्पर्श करें, तिल के लड्डू और अपने वजन के बराबर गेहूं का दान करें।
मंत्र:- मकर संक्रांति विशेष सूर्य साधना
‘‘ऊँ हृां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः।‘‘
इसके बाद अष्टगंध और गंगाजल मिलाकर स्याही बनाएं और अनार की कलम से भोजपत्र पर यंत्र बनाएं। यंत्र बनाने के पश्चात् भोजपत्र को थाली में स्थापित करें और उसके ऊपर तांत्रोक्त आदित्य मणि और सूर्य कवच रखें। ‘‘ऊँ हृां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः’’ मंत्र का जाप करें। यदि जन्मपत्रिका उपलब्ध हो, तो सूर्य की स्थिति के अनुसार माला जाप करें, अन्यथा सात माला का जाप करें। जाप समाप्त होने पर तांत्रोक्त आदित्य मणि और भोजपत्र को सूर्य कवच में डालकर इसे लाल धागे में पिरोकर गले में धारण करें। माता-पिता के चरण स्पर्श करें, तिल के लड्डू और अपने वजन के बराबर गेहूं का दान करें।
शनि शांति साधना
इसके बाद शनि शांति साधना का विधान किया जाता है। शनि देव सूर्य के पुत्र हैं और इनकी कृपा से जीवन में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सकता है। शनि साधना के लिए सिद्ध शनि तैतीसा यंत्र, शनि तैतिसा माला, काले घोड़े की नाल और शनि छल्ला की आवश्यकता होती है। एक काले कपड़े पर हवन कुण्ड तैयार करें और उसमें लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें। यंत्र, घोड़े की नाल और छल्ले को पास में रखें। ‘‘ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे…’’ मंत्र का जाप करते हुए हवन में तिल की आहुति दें। जाप समाप्त होने के बाद यंत्र और माला को काले कपड़े में लपेटकर बहते जल में प्रवाहित करें। घोड़े की नाल को साफ करके घर के मुख्य द्वार पर ‘न्’ आकार में लगाएं और शनि छल्ले को दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें।
सामग्री:
- सिद्ध शनि तैतीसा यंत्र
- शनि तैतिसा माला
- काले घोड़े की नाल
- शनि छल्ला
- काला कपड़ा
- सवा किलो काले तिल
- सरसों का तेल
विधि:
- काला कपड़ा बिछाकर हवन कुंड (या मिट्टी की चौकी) तैयार करें।
- अग्नि जलाकर उसके पास यंत्र, घोड़े की नाल, और छल्ला रखें।
- अग्नि में तिल आहुति देते हुए ‘‘ऊँ न्न्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारूकमिव बन्धनान, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।’’ मंत्र का जाप करें।
- जाप पूर्ण होने के बाद यंत्र और माला को काले कपड़े में लपेटकर बहते जल में प्रवाहित करें।
- घोड़े की नाल को मुख्य द्वार पर ‘न्’ आकार में लगाएं।
- शनि छल्ले को दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें।
विशेष: मकर संक्रांति विशेष सूर्य साधना
हवन की बची हुई सामग्री को छानकर एक डिब्बी में सुरक्षित रखें और शेष भस्म को बहते जल में प्रवाहित करें या पीपल के पेड़ में डाल दें। डिब्बी में रखी भस्म से घर के सभी सदस्य तिलक करें। यह साधना विशेष रूप से शनि के प्रभाव को कम करने और जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए लाभकारी होती है।
यदि स्त्री यह साधना करे तो उनके पति के लिए काफी लाभदायी रहेगा। इससे शनि का प्रकोप कम होगा एवं घर में सुख-समृद्धि एवं शांति बनी रहेगी।
अंत में मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप पर सूर्य देवता के आषीर्वाद की वर्षा हो और आपका जीवन खुषी की अनन्त सूर्य किरणों से भर जाएं। मकर संक्रान्ति की बहुत-बहुत बधाईयां।
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