
अंग न्यास मंत्र
अंग न्यास मंत्र न केवल एक शारीरिक क्रिया है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का भी एक महत्वपूर्ण साधन है।
अंग न्यास मंत्र न केवल एक शारीरिक क्रिया है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का भी एक महत्वपूर्ण साधन है।
वेद भारतीय संस्कृति के वे ग्रन्थ हैं, जिनमे ज्योतिष, गणित, विज्ञान, धर्म, ओषधि, प्रकृति, खगोल शास्त्र आदि लगभग सभी विषयों से सम्बंधित ज्ञान का भंडार भरा पड़ा है।
कर्ज से बढ़कर कष्टप्रद कोई स्थिति नहीं होती। अगर आप भी कर्ज के बोझ से परेशान हैं तो इस मंत्रों का प्रयोग अवश्य करें। इससे ना सिर्फ कर्ज से मुक्ति मिलेगी बल्कि जीवन में कभी कर्ज लेने की स्थिति ही निर्मित नहीं होगी।
इस प्रकार के प्रश्न अक्सर वे लोग करते हैं, जो समझने के स्थान पर केवल प्रश्न करने में ही रूचि रखते हैं |
भारतीय संस्कृति और शास्त्रों के अनुसार अच्छे वर और वधु प्राप्त करने के लिए प्राय: सभी भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करते है | इसमें लड़कियाँ सुयोग्य वर के लिए माता पार्वती और भगवान शिव कि उपासना करती है तो लड़के सुलक्षणा पत्नी हेतु भगवान शिव उपासना करते है |
जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र भी कहते हैं। इसे उपनयन संस्कार भी कहते हैं। ‘उपनयन’ का अर्थ है, ‘पास या सन्निकट ले जाना।
भगवती कनकधारा महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना श्री शंकराचार्य जी ने की थी।उनके इस स्तुति से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी जी ने स्वर्ण के आँवलों की वर्षा कराई थी इसलिए इसे कनकधारा स्तोत्र कहते हैं।
बीमार व्यक्ति चाहता है कि वह और उसके परिवार के सदस्य आरोग्य को प्राप्त करें अर्थात निरोगी बने रहे । लेकिन वर्तमान समय के रहन सहन, खान-पान , शरीरिक श्रम की कमी के कारण लोगो को रोग बहुत जल्दी घेर लेते है ।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाने वाला यह पर्व आंवला वृक्ष की पूजा को समर्पित है। धार्मिक ग्रंथों में आंवला वृक्ष को विशेष महत्व दिया गया है और इसे पवित्र एवं अक्षय माना गया है। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा करके भक्त दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी जीवन की कामना करते हैं।
नासा ने ब्रह्मांड में एक बहुत बड़े जलाशय की खोज की है, जो पृथ्वी के महासागरों से 140 खरब गुना ज्यादा पानी रखता है। यह जलाशय 12 बिलियन प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है। इस खोज ने कई लोगों को हैरान कर दिया, क्योंकि यह वही ‘भवसागर’ हो सकता है जिसे हमारे धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित किया गया है।