तिथियाँ क्या होती हैं? सभी तिथियों के स्वामी कौन हैं? संपूर्ण जानकारी

तिथियाँ क्या होती हैं? सभी तिथियों के स्वामी कौन हैं? संपूर्ण जानकारी

हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्व है। यह न केवल हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि यह हमारे व्रत, त्योहार और शुभ कार्यों का आधार भी होती हैं। इस लेख में, हम विस्तार से समझेंगे कि तिथि क्या होती है, इसके प्रकार क्या हैं, तिथियों के स्वामी कौन होते हैं, और इनका हमारे जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है।

तिथि क्या होती है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, चंद्रमा के गति के आधार पर समय का विभाजन किया जाता है, जिसे तिथि कहा जाता है। यह सूर्य और चंद्रमा की सापेक्ष स्थिति से निर्धारित होती है। एक चंद्र मास में कुल 30 तिथियाँ होती हैं, जो दो पक्षों में विभाजित होती हैं:

  1. शुक्ल पक्ष (चांदनी रातें) – जब चंद्रमा बढ़ता है, यानी अमावस्या से पूर्णिमा तक की अवधि।
  2. कृष्ण पक्ष (अंधेरी रातें) – जब चंद्रमा घटता है, यानी पूर्णिमा से अमावस्या तक की अवधि।

हर पक्ष में 15-15 तिथियाँ होती हैं, जिनका नाम निम्नलिखित है:

  • शुक्ल पक्ष की तिथियाँ:
    प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा।
  • कृष्ण पक्ष की तिथियाँ:
    प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या।

तिथि कैसे निर्धारित होती है?

जिस समय सूर्योदय होता है, उस समय जो तिथि चल रही होती है, वही पूरे दिन के लिए मानी जाती है।
कभी-कभी एक तिथि आधे दिन से शुरू होकर अगले दिन तक बनी रहती है, जिससे व्रत और त्योहार दो दिन तक मनाए जाते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, सभी शुभ कार्यों का मुहूर्त तिथियों के आधार पर ही तय किया जाता है।

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तिथियों के स्वामी कौन होते हैं?

हर तिथि का एक विशेष देवता होता है, जिनकी पूजा उस दिन करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि किस तिथि के स्वामी कौन हैं और उनकी पूजा करने से क्या लाभ मिलता है

1. पूर्णिमा तिथि – चंद्र देव

स्वामी: चंद्र देव
पूजा का महत्व:

  • चंद्र देव को मन और भावनाओं का कारक माना जाता है।
  • इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • इस दिन लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं।
  • सत्यनारायण व्रत भी इसी दिन किया जाता है।

2. प्रतिपदा तिथि – अग्नि देव

स्वामी: अग्नि देव
पूजा का महत्व:

  • इस तिथि में अग्निदेव की पूजा करने से धन और धान्य की प्राप्ति होती है।
  • अग्नि पवित्रता और शक्ति का प्रतीक हैं, इसलिए यज्ञ और हवन करना शुभ होता है।

3. द्वितीया तिथि – ब्रह्मा जी

स्वामी: ब्रह्मा जी
पूजा का महत्व:

  • इस तिथि में ब्रह्मा जी की पूजा करने से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है।
  • विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए यह तिथि बहुत शुभ मानी जाती है।

4. तृतीया तिथि – माँ पार्वती

स्वामी: माता पार्वती
पूजा का महत्व:

  • इस दिन माँ पार्वती की पूजा करने से सौभाग्य, सुयोग्य वर, और संतान प्राप्ति होती है।
  • गौरी व्रत और तीज इसी तिथि में किए जाते हैं।

5. चतुर्थी तिथि – गणेश जी

स्वामी: भगवान गणेश
पूजा का महत्व:

  • इस दिन गणेश जी की पूजा करने से विघ्नों का नाश होता है।
  • संकष्टी चतुर्थी व्रत भी इसी दिन किया जाता है।
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6. पंचमी तिथि – नागराज (सर्प देवता)

स्वामी: नागराज
पूजा का महत्व:

  • नाग पंचमी इसी दिन मनाई जाती है।
  • इस तिथि पर नागों की पूजा करने से सर्प दोष और कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है

7. षष्ठी तिथि – कार्तिकेय जी

स्वामी: भगवान कार्तिकेय
पूजा का महत्व:

  • इस दिन कार्तिकेय जी की पूजा करने से साहस, यश और विजय प्राप्ति होती है।

8. सप्तमी तिथि – सूर्य देव

स्वामी: सूर्य देव
पूजा का महत्व:

  • इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य, दीर्घायु और सफलता प्राप्त होती है।
  • इस दिन विशेष रूप से सूर्य अर्घ्य देने का विधान है।

9. अष्टमी तिथि – भगवान शिव

स्वामी: भगवान शिव
पूजा का महत्व:

  • इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
  • दुर्गाष्टमी व्रत भी इसी दिन रखा जाता है।

10. नवमी तिथि – माता दुर्गा

स्वामी: माँ दुर्गा
पूजा का महत्व:

  • इस तिथि में दुर्गा जी की पूजा करने से शत्रु नाश और विजय प्राप्त होती है।
  • नवरात्रि की नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है।

11. दशमी तिथि – यमराज

स्वामी: यमराज
पूजा का महत्व:

  • इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु और नरक भय से मुक्ति मिलती है।

12. एकादशी तिथि – भगवान विष्णु

स्वामी: भगवान विष्णु
पूजा का महत्व:

  • एकादशी का व्रत करने से मोक्ष, धन और संतान प्राप्ति होती है।

13. द्वादशी तिथि – भगवान नारायण

स्वामी: भगवान नारायण
पूजा का महत्व:

  • इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं
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14. त्रयोदशी तिथि – कामदेव

स्वामी: कामदेव
पूजा का महत्व:

  • इस दिन पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ता है

15. चतुर्दशी तिथि – भगवान शंकर

स्वामी: भगवान शिव
पूजा का महत्व:

  • इस दिन शिव जी की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य और सुख की प्राप्ति होती है

16. अमावस्या तिथि – पितृ देवता

स्वामी: पितर देव
पूजा का महत्व:

  • इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण करने से पितृ दोष समाप्त होता है

निष्कर्ष

तिथियाँ केवल हिंदू पंचांग का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन और संस्कृति से भी गहराई से जुड़ी हुई हैं। हर तिथि का एक विशेष महत्व होता है और उसे एक विशेष देवता से जोड़ा जाता है। यदि हम तिथियों के अनुसार पूजा-अर्चना करें, तो हमें मनोवांछित फल प्राप्त हो सकते हैं। इससे हमारे जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता आती है। धार्मिक अनुष्ठानों में तिथियों की शुद्धता और महत्ता को ध्यान में रखते हुए ही कार्य करना चाहिए।

प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने Sanskrit भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।